Herbalife न्यूट्रिशन के प्रोडक्ट्स सिर्फ और सिर्फ अपने स्वतंत्र एसोसिएट्स से खरीदे ,ऑनलाइन बिकने वाले प्रोडक्ट्स की शुद्धता के लिए कम्पनी किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं



( DEV TANWAR )
स्वास्थ्य कल्याण के क्षेत्र में पूरे विश्वभर में 'हर्बालाइफ' बीते 44 वर्षों से लोगों की जिंदगी बदलने का काम कर रही है। कंपनी ने अपने ग्राहकों को प्रोडक्ट्स व न्यूट्रिशन की बढ़ते प्रचलन के कारण होने वाले खतरे के बारे में आगाह किया है साथ ही, बताया कि कंपनी के असली प्रोडक्ट्स खरीदने का सबसे सुरक्षित तरीका उनके स्वतंत्र एसोसिएट्स हैं।
प्रमुख स्वास्थ कल्याण कंपनी, Herbalife India ने ग्राहकों को स्पष्ट किया है कि हर्बालाइफ के असली प्रोडक्ट्स खरीदने का सबसे सुरक्षित तरीका उनके स्वतंत्र एसोसिएट्स हैं। क्योंकि कंपनी केवल इन एसोसिएट्स के नेटवर्क के माध्यम से ही अपने प्रोडक्ट्स बेचती है।
Herbalife भारत समेत दुनिया के 94 देशों में अपने प्रोडक्ट्स सिर्फ और सिर्फ अपने स्वतंत्र एसोसिएट्स के जरिए बेचती है। यह कंपनी डायरेक्ट-सेलिंग बिजनेस मॉडल पर चलती है, जिसका मकसद लोगों को विज्ञान पर अधारित अच्छे प्रोडक्ट्स उपलब्ध कराना है। इसके अलावा कंपनी के एसोसिएट्स ग्राहकों को प्रोडक्ट्स से संबंधित व्यक्तिगत सलाह भी देते हैं ताकि हर ग्राहक अपने स्वास्थ्य कल्याण के लिए कार्य कर सके। 


हार्बलाइफ India ने  आधिकारिक जानकारी देते हुए बताया की, "ग्राहकों को उन ऑनलाइन अनधिकृत वेबसाइट्स से बचकर रहना चाहिए जो Herbalife के नाम का गलत इस्तेमाल कर रही हैं। यहां तक कि अगर इन वेबसाइट्स पर हर्बालाइफ स्वतंत्र एसोसिएट का नाम या हर्बालाइफ का पता भी लिखा हो,

Herbalife का इतिहास.......

1980 से ही Herbalife लोगों की जिंदगी बदलने का काम कर रही है। यह एक बेहतरीन हेल्थ और वेलनेस कंपनी है, जहां लोग जुड़कर एक परिवार की तरह काम करते हैं। Herbalife ने पोषक तत्वों से भरपूर कई बेहतरीन उत्पाद बनाए हैं। इसी के साथ कंपनी ने लोगों को खुद का बिजनेस शुरू करने का मौका भी दिया है। हर्बालाइफ विज्ञान पर आधारित प्रोडक्ट्स बनाती है जो दुनिया के 94 देशों में मिलते हैं।
यह प्रोडक्ट्स Herbalife के बिजनेस पार्टनर्स यानी स्वतंत्र डिस्ट्रीब्यूटर्स के जरिए लोगों तक पहुंचाए जाते हैं। यह पार्टनर्स हर ग्राहक को व्यक्तिगत तौर पर सलाह देते हैं और उन्हें एक ऐसी कम्यूनिटी का हिस्सा बनाते हैं जहां वे healthy और active लाइफ जी सके।






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हिमाचल प्रदेश शिमला के प्रसिद्ध जाखूमंदिर के मायावी बंदर और रामचंद की सच्ची दोस्ती की कहानी


    (देव तनवर)                                                                                                                                                      
कुत्तों को इंसान का सबसे सच्चा दोस्त कहा जाता है कहते है इंसान, इंसान को धोखा दे सकता है, लेकिन कुत्ते कभी धोखा नहीं देते इंसान भले ही उन्हें दुत्कार दें, पर कुत्ते नही,परन्तु इसी कड़ी में बंदर और इंसान की दोस्ती कुछ हजम नही होती। उन्हें तो सिर्फ हनुमान जी ने भगवान श्री राम के लिए रामसेतु बांध बनाने के लिए काम में लाया गया था,तब से लेकर बंदरों की इज्जत इंसानों की नजर में भगवान से कम नही।
बंदरों को लेकर कुछ लोग कह सकते हैं कि इनकी कुछ नस्लें काफ़ी आक्रामक होती हैं, लेकिन ज़्यादातर बंदर नटखट और  बहुत भोले होते है जो इंसानों से दोस्ती ही करना चाहते हैं. समय-समय पर वो इसको प्रमाणित भी करते रहे हैं.
एक बार उन्होंने किसी के साथ सच्ची दोस्ती कर ली तो मरते दम तक उनका साथ निभाते हैं. वफ़ादारी, ईमानदारी और दोस्ती की ऐसी ही एक मिसाल थी शिमला के जाखू मंदिर के बंदर की दोस्ती
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पुराने बुजुर्गों  के अनुसार  सन् 1942 में शिमला हिमाचल प्रदेश में राम चंद नाम का एक व्यक्ति हुआ करता था.पेशे से  वो एक किसान था और शिमला के साथ लगते क्षेत्र संजोली के नज़दीकी गांव का रहने वाला था जोकि सुबह 4 बजे शिमला स्थित जाखूमंदिर में बंदरों को गुड़ चना खिलाने व हनुमान जी के दर्शन करने जाया  करता था। लोगो के अनुसार राम चंद में हनुमान जी के प्रति बहुत आस्था थी इसलिए उन्होंने ताउम्र शादी ना करने का भी दृढ़ निश्चय कर लिया था।

एक दिन राम चंद रोजाना की तरह संजोली से जाखूमंदिर सुबह 4 बजे जा रहा था  ओर अचानक रास्ते में उसने एक मादा बंदर को तड़पते हुए देखा.जिसको किसी ने खाने में जहर दिया हुआ था उसके स्तन में उसका मासूम सा बच्चा दूध पी रहा था.
राम चंद ने उस बंदर को पानी पिला के बचाने की कोशिश की परन्तु वो मादा बंदर दम तोड चुकी थी उसने उसके बच्चे को अपनी गोद में लिया और जाखुमंदिर में जाकर हनुमान जी को अपना सिर झुकाकर शिश नवाज कर उस बच्चे की सेवा करने का आशीर्वाद मांगा और उसे अपने साथ अपने घर ले गया।

राम चंद ने लगभग 12 वर्ष तक उस बंदर की सेवा की ओर उन दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती भी हो गई थी,वो रोजाना राम चंद के साथ जाखूमंदिर जाया करता था और मंदिर में माथा टेक कर दोनो वापिस घर आ जाया करते थे,लोगो के अनुसार वो बंदर हमेशा राम चंद के साथ देखा जाता ,वो खेत का काम कर रहा हो या बाजार में दूध बेचने जाता वो  बंदर साथ ही जाया करता था।

10 मार्च 1952 को रोजाना की तरह राम चंद सुबह उठा ओर 4 बजे जाखूमंदिर जाने से पहले बंदर को आवाज मारने लगा परन्तु वो न जाने कहां चला गया था तो राम चंद ने अकेले ही मन्दिर जाने का फेसला किया,पर किस्मत को कुछ ओर ही मंजूर था बोलते है जब इंसान की मृत्यु सुनिश्चित होती है
तो उसे कोई भी टाल नहीं सकता, राम चंद मंदिर से वापिस घर की तरफ लोट रहा था तो एक तेज रफ्तार ट्रक द्वारा उसे टक्कर लगी और उसकी मौके पर ही मृत्यु हो गई, क्या पता बंदर का साथ ना जाना किसी अनहोनी का अंदेशा हो, बंदर रूप में साक्षात हनुमान जी राम चंद के साथ उसकी सुरक्षा में चलते हो, बिना बंदर के वो मंदिर नही जाता तो शायद उसकी जान बच जाती,बोलते है न भगवान जिसकी किस्मत में  जो लिख देता है वो कभी भी टाला नहीं जा सकता।

लोगो के अनुसार जब उसके शव को घर ले कर गये तब वो बंदर अचानक वन्हा आया और राम चंद के शव को देख जोर जोर से चीखने ओर रोने लगा, राम चंद के शव को श्मशान घाट ले जाया गया तब वो बंदर सारा दिन पेड़ पर उदास बैठा रहा और नम आंखो से राम चंद के शव को जलते हुए देखता रहा।गांव वालो ने बताया कि जब वो बंदर राम चंद के घर वापिस आया, तो लोग उसे खाना तो कभी पानी देते परन्तु वो पेड़ पर बैठ नम आंखों से टकटकी लगाए रास्ते को निहारता रहता. कुछ दिन बीते,हफ्ते बीते,ओर कुछ महीने बीत गये वो राम चंद के घर पे बैठा रहता तो कभी उसी के अंगना के पेड़ पे ,धीरे -धीरे लोगो को समझ आने लगा कि वो आम बंदर नहीं है।

गांव वालो ने उसके गले में लाल कपड़ा बांधा ताकि वो जन्हा भी दिखे तो सब उसे पहचान जाए.उस दिन के बाद वो बंदर उस गांव में नही दिखा,परन्तु कुछ गांव वालो के अनुसार जाखूमंदिर की मुख्य मूर्ति के पास वो अक्सर देखा गया था।उसके बाद आज भी उस दिव्य बंदर की झलक गांव वालो को सपनो में आती है,तब से लेकर उस गांव में हनुमान जी के प्रति बहुत आस्था है उसी आस्था को चलते राम चंद के आंगन में हनुमान जी का छोटा सा मंदिर बनवाया गया ,राम चंद और उस बंदर की दोस्ती को आज भी शिमला के लोग याद करते हैं।



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हिमाचल की रवितनया शर्मा ने मुंबई मे मनवाया अपने प्रतिभा का लोहा,बनी मिस नवी मुंबई 2023 की विजेता

 


हिमाचल प्रदेश की रवितनया शर्मा  ने मुंबई में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। शिमला की रवितनया शर्मा ने मिस नवी मुंबई 2023 का ताज जीतकर प्रदेश का नाम रोशन किया है।
गौरतलब है कि रवितनया दिव्य हिमाचल द्वारा प्रायोजित मिस हिमाचल 2020 में फर्स्ट रनर अप व मिस स्टाइल दीवा टाइटल से नवाजी गई थी। रवितनया दो पुस्तकों की आथर भी है।

मिस नवी मुंबई 2023 नवी मुंबई के होटेल फोर प्वाइंटस में यू एंड आई एंटरटेनमेंट द्वारा आयोजित किया गया जिसके मैनेजिंग डायरेक्टर मिस्टर हरमीत सिंह गुप्ता हैं। सैंकड़ों युवतियों में टाप चौदह लड़कियों का चयन हुआ था जिनकी ग्रूमिंग के साथ साथ व्यक्तिगत निर्माण की कोचिंग भी दी गई।
ज्ञात रहे इस तरह की सौंदर्य प्रतियोगिताओं में प्रतिभागियों को  शारीरिक सुंदरता के साथ-साथ बौद्धिक क्षमता,सामान्य ज्ञान, आत्मविश्वास,वाक पटुता व बुद्धिमता की कसौटी से होकर गुजरना पड़ता है। ट्रेडिशनल राउंड, वेस्टर्न राउंड, इवनिंग गाउन राउंड के साथ इंट्रोडक्शन राउंड वह क्योशचन आंसर रांउड से गुजरकर रवितनया ने यह सौंदर्य प्रतियोगिता जीतकर न केवल माता पिता बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है।


प्रतियोगिता जीतने के साथ रवितनया ने मिस स्टाइल आइकन का टाइटल भी जीता है। इस प्रतियोगिता का आडिशन जनवरी 2023 में हुआ था व भिन्न भिन्न स्तरों को पार करते हुए 4 मार्च को टाप चौदह युवतियों का ग्रेंड फिनाले में खड़ा मुकाबला हुआ जिसमें अंततः रवितनया शर्मा की ताजपोशी हुई।

रवितनया पढ़ाई में हमेशा टॉपर रही है व इस समय एम.बी.ए की शिक्षा ग्रहण कर रही है।
उसकी प्रारंभिक शिक्षा कॉन्वेंट ओफ़ जिजस एंड मेरी चेलसी, लॉरेटो कॉन्वेंट ताराहोल और सेंट बीड्स कॉलेज, शिमला से हुई है। रवितनया शर्मा  मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश से वोमेन पावर एवार्ड, पूर्व राज्यपाल आचार्य देवव्रत से स्वामी विवेकानंद प्रतिभा सम्मान आदि सम्मानों के साथ अनेक संस्थाओं से सम्मानित हो चुकी हैं। 


पढ़ाई के साथ इस वक्त वह अपनी तीसरी पुस्तक पर काम कर रही है जिसका शीघ्र प्रकाशन होने वाला है।
रवितनया विश्व महिला दिवस की समस्त महिलाओं को बधाई देते हुए  महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति सजगता के साथ स्वाबलंबी होने का संदेश देते हुए उन्हें समाज में अपना स्वतंत्र व्यक्तित्व बनाने का संदेश दे रही हैं ताकि वे सम्मान के साथ जी सकें।

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"भारतेश शर्मा" हिमाचल प्रदेश के लिए बने मिसाल, ग्यारह वर्ष की उम्र में लिख दी किताब

*विश्व पुस्तक मेले में शिमला के ग्यारह वर्षीय "भारतेश शर्मा" की पुस्तक का विमोचन*


यह पुस्तक भारतेश शर्मा ने अपने बाल सुलभ खट्टे मीठे अनुभवों,अपने स्कूल, परिवार , यात्रा वर्णनों व संस्मरणों को लेकर लिखी है। पुस्तक को अंग्रेजी भाषा में लिखा गया है। अपने विचारों को मूर्त रुप देने में भारतेश को लगभग तीन वर्ष लगे जिसमें सबसे बड़ा चैलेंज  व्याकरण ज्ञान को लेकर था।

पुस्तक लिखने के लिए भारतेश ने अंग्रेजी व्याकरण पर काम किया। इस पुस्तक को भारतेश ने स्वयं टाइप व डिज़ाइन किया। पुस्तक की एडिटिंग का श्रेय भारतेश अपनी बहन रवितनया को देता है जो स्वयं एक लेखिका है। भारतेश के माता पिता भी लेखक हैं। 


भारतेश अपनी इस पुस्तक के लिए अपने माता पिता व बहन को प्रेरणा मानता है। भारतेश के अनुसार बच्चों को स्कूल की पढ़ाई के अलावा ज्ञान वर्धक पुस्तकें भी पढ़नी चाहिए। लेखन के अलावा भारतेश को पर्यावरण में रुचि है ।

गौरतलब है भारतेश शर्मा  का शिमला के एडवर्ड स्कूल में छठी कक्षा में प्रवेश हुआ है। इसके अलावा वह पढ़ाई में भी होशियार है। भारतेश आगे भी पुस्तकें लिखना चाहता है। वह हिंदी भाषा में भी पुस्तक लिखने के लिए कृत संकल्प है। इस तरह भारतेश शर्मा का नाम देश के सबसे कम उम्र के लेखक बच्चों में शुमार हो गया है।

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इस महाशिवरात्रि करें इन चमत्कारी शिव मंत्रों का जाप

 


महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा और उपासना करने का बड़ा महत्व है। भगवान शिव को भोले भंडारी भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव जल्द प्रसन्न होने वाले देवताओं में से एक हैं। वैसे तो हर महीने ही शिवरात्रि आती है,
लेकिन फाल्गुन माह में आने वाली महाशिवरात्रि का अधिक महत्व है। हिंदू धर्म के अनुसार जो भक्त इस दिन भगवान शिव की उपासना और व्रत करता है, उसकी हर मनोकामना भगवान शिव पूर्ण करते हैं।  

आज मंदिरों में महाशिवरात्रि पर्व की धूम मची हुई है। इस दिन आप भगवान भोलेनाथ की विधिपूर्वक पूजा कर, मन को शांत करके शिव मंत्र का जाप करें। भगवान शिव का हर मंत्र चमत्कारी है। कहा जाता है
कि शिव मंत्रों के जाप से रोग, दोष, कष्ट, संकट, पाप, भय सब दूर हो जाते हैं। और साथ ही सुख, सौभाग्य, आरोग्य, संतान आदि की प्राप्ति भी होती है। आइए जानते हैं भगवान शिव के प्रभावशाली और चमत्कारी मंत्रों के बारे में...


भगवान शिव के चमत्कारी मंत्र

1. शिव गायत्री मंत्र

ओम तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्। इस मंत्र का जाप सुख, समृद्धि आदि की प्राप्ति के लिए किया जाता है।

2. पंचाक्षरी मंत्र ओम नम: शिवाय यह मंत्र भगवान शिव का मूल मंत्र या शिव पंचाक्षरी मंत्र है।
इस मंत्र के जाप से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

3. महामृत्युंजय मंत्र ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

4. लघु मृत्युंजय मंत्र

ओम जूं स माम् पालय पालय स: जूं ओम 

मृत्युंजय मंत्रों का जाप अकाल मृत्यु, असाध्य रोग, राज दंड आदि से सुरक्षा के लिए किया जाता है।

5.  शिव आरोग्य मंत्र माम् भयात् सवतो रक्ष श्रियम् सर्वदा। आरोग्य देही में देव देव, देव नमोस्तुते।। 

ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।। 


उत्तम स्वास्थ्य के लिए इस मंत्र का भी जाप किया जाता है। 

6. धन-संपत्ति की प्राप्ति के लिए शिव मंत्र ओम हृौं शिवाय शिवपराय फट्।।

7. शत्रु-विजय के लिए शिव मंत्र ओम मं शिव स्वरुपाय फट्।।

 8. शिव स्तुति मंत्र द: स्वप्नदु: शकुन दुर्गतिदौर्मनस्य, दुर्भिक्षदुर्व्यसन दुस्सहदुर्यशांसि। उत्पाततापविषभीतिमसद्रहार्ति, व्याधीश्चनाशयतुमे जगतातमीशः।।

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जनता की मांग पर लेडी सिंघम के नाम से मशहूर अधिशाषी अभियंता कंचन शर्मा ने सम्भाला जल शक्ति मंडल अर्की का पदभार

 


कुनिहार

सोलन जिला अर्की के जल शक्ति मंडल की अधिशाषी अभियंता कंचन शर्मा जिनको उनके कार्यों के लिए "लेडी सिंघम" के नाम से भी जाना जाता है ज्ञात रहे कि कंचन शर्मा अपने पिछले कार्यकाल मे अपनी विशिष्ट कार्यशैली के लिए अर्की क्षेत्र में मशहूर हुई थीं व क्षेत्र में अपने कार्यशैली व स्वच्छ छवि के कारण लोगों के दिलों में जगह भी बनाई, लोगो की मांग पर फिर से आज कंचन शर्मा ने जल शक्ति मंडल अर्की मे बतौर अधिशाषी अभियंता का पदभार संभाला।

कंचन शर्मा को अर्की क्षेत्र में आए अभी एक दिन भी नहीं हुआ उन्होंने आते ही अपने लेडी सिंघम की तरह कार्य करने शुरु कर दिये,इसी कड़ी मे आज कंचन शर्मा ने कुनिहार  सीवरेज प्लांट का औचिक निरक्षण किया व वहां पर कार्यरत कर्मचारियों को दिशा निर्देश देते हुए कहा की सीवरेज प्लांट के ओपरेशन व मेंटिनेंस के साथ- साथ वहां इस पास भी सफाई का विशेष ध्यान रखें व सीवरेज प्लांट के साथ खाली पड़ी जगह पर फूल व फलदार पेड़ लगाने के भी आदेश दिये ताकि पर्यावरण को स्वच्छ रखा जा सके ।
कंचन शर्मा ने कहा कि बिजली गुल होने की स्थिति में  तुरंत जनरेटर  उपयोग में लाया जाए, ताकि प्लांट का संचालन सुचारु रुप से चलता रहे।

इस मौके पर बी डी सदस्य देवेंद्र तनवर, कनिष्ठ अभियंता हेत राम, कार्य निरीक्षक जगत राम व अन्य कर्मचारी मौजूद रहे ।

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हिमाचल प्रदेश राज्य विधुत बोर्ड संगठन का प्रतिनिधिमंडल माननीय ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी से मिला



कुनिहार

हिमाचल प्रदेश राज्य विधुत बोर्ड संगठन का प्रतिनिधिमंडल माननीय ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी से मिला।

संगठन के सदस्यों ने ऊर्जा मंत्री द्वारा की गई घोषणाएं जो उन्होंने  फरवरी 2021 मे महा अधिवेशन सोलन में की थी परंतु आज तक प्रबंधक वर्ग द्वारा आदेश जारी न करने पर  संगठन ने रोश व्यक्त किया तथा मंत्री महोदय को प्रबंधक वर्ग का दुलमुम कार्यप्रणाली से भी अवगत करवाया।उन्होंने पदोन्नत  कनिष्ठ अभियंताओं को विद्युत बोर्ड में सबसे शोषित वर्ग कहा,जिन्हे आज तक पंजाब की तर्ज पर समय अवधि पदोन्नत वेतन वृद्धि टी बी पी एस 9 /16 के लाभ  से भी वंचित रखा गया है जोकि गैर कानूनी है सी सी एस  नियमों में भी उसका उल्लेख है
इस वर्ग के कनिष्ठ अभियंता पूरे प्रदेश में 2-3 विद्युत अनुभागों में कार्य कर रहे व ईमानदारी से दिन रात मेहनत कर रहे हैं

जिससे सरकार के आदेश 27x7 विद्युत आपूर्ति की अनुपालन हो रही है लेकिन जहां हक की बात हो वहां प्रबंधक वर्ग हमारे साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है
ऊर्जा मंत्री ने पदाधिकारियों की समस्याओं को ध्यान से सुना और शीघ्र मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया। मांगों में 9/16 वेतन  पदोन्नत समय अवधि  जेई व अई 12/15 से 7/9 पदोन्नति को शीघ्र 10 प्रतिशत से 18 प्रतिशत एवं 50 पद एकमुश्त बन्दोबस्त के तहत जेई व अई के शीघ्र आदेश करने को कहा है। मंडल में पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एवं मुख्य संरक्षक ई जेसी शर्मा के साथ प्रदेश महामंत्री रणवीर सिंह चौहान व उप प्रधान देवेंद्र कंवर,वरिष्ठ उप प्रधान महेंद्र चौधरी,कार्यकारी 
प्रदेशाध्यक्ष राय सिंह व अन्य संगठन के लोग शामिल रहे।



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हिमाचल प्रदेश जिला सोलन के गाँव कठनी सुबाथू मे खुदाई के दोरान मिली विशालकाय 11 मुखी हनुमानजी की मूर्ति, मंगलवार 17 मई को होंगे सभी भगतजनो को दर्शन

 

देव तनवर (सोलन) 

भगवान पवनपुत्र हमुमान हिंदू धर्म में पूजे जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। कलियुग के प्रमुख देवों में से एक बजरंग बली को चिरंजीव माना जाता है। मंगलवार के दिन हनुमान की पूजा करना शुभ माना जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार एक असुर ने जब हाहाकार मचा दी थी, तब उस असुर का संहार करने के लिए हनुमान को एकादशमुखी रूप धारण करना पड़ा था। देश में 11 मुखी हनुमान के बहुत ही कम मंदिर है। इसी कड़ी में अब हिमाचल प्रदेश का सोलन जिला भी जुड़ गया है। सोलन जिला के सुबाथू के समीप कठनी गांव में अब लोगों को एकादशमुखी यानि 11 मुखी हनुमान के दर्शन होंगे। 

इसके अलावा दक्षिणमुखी हनुमान, पंचमुखी हनुमान, श्रीगणेश, जटा वाले हनुमान के दर्शन भी हो सकेंगे। इसके लिए मंदिर बनकर तैयार हो गया है। मंदिर में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पूजा- अर्चना चल रही है। इसमें हिमाचल प्रदेश के अलावा मध्यप्रदेश के नीमच के विद्वान लोग पूजा अर्चना में जुटे हैं। प्राण प्रतिष्ठा का कार्य पूरा होने के बाद मंदिर में लोग दर्शन कर सकेंगे। माना जाता है कि 11 मुखी हनुमान के मंदिर में दर्शन करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है।
माना जाता है कि हनुमान जी की पूजा से हर तरह से संकट दूर हो जाते हैं। देवता भी संकट से उभरने के लिए हनुमान वंदन करते हैं। इस मंदिर के कपाट 17 मई को प्राण प्रतिष्ठा का कार्य पूर्ण होने के बाद खुलेंगे।इस दिन मंदिर में विशाल भंडारे का भी आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मंदिर में पंचमुखी हनुमान, श्री गणेश, जटावाले हनुमान व दक्षिणमुखी हनुमान के दर्शन होंगे। साथ ही 21 इंज के हनुमान जी के चरण भी यहां देख सकेंगे।


संत चिंताराम रघुवंशी ने बताया कि यहां करीब 8 साल पहले हनुमान जी की मूर्ति करीब 30 फीट खुदाई के बाद मिली थी। तब से संत रघुवंशी के अलावा किसी ने भी इस मूर्ति को नहीं देखा है। इसके बाद से यहां लोगों का आना जाना लगा रहता है। यहां जेठे मंगलवार और जेठे वीरवार को भंडारे का आयोजन किया जाता है, जिसमें लोग यहां भारी संख्या में आते हैं।
उन्होंने बताया कि अब तक करीब 4 लाख लोग मंदिर में आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि हनुमान संकटमोचन है और यहां आने वाले भक्तों के संकट दूर होते हैं। मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना के बाद 17 मई को मंदिर लोग मंदिर में इस दुलर्भ मूर्ति के दर्शन कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि इस दिन भंडारे का भी आयोजन किया जाएगा।

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