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कुनिहार वन मंडल के तहत मनाया गया 71 वां वन महोत्सव

कुनिहार (देव तनवर) 


कुनिहार वन मंडल के तहत मंगलवार को 71वें वन महोत्सव का आयोजन किया गया। प्रदेश सरकार के निर्देशों पर आयोजित इस महोत्सव में भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष रत्न पाल ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। उन्होंने विधिवत पूजा-अर्चना कर बेहड़ा का पौधा लगाकर कार्यक्रम का आगाज किया।
उन्होंने वन महोत्सव के सफल आयोजन के लिए डीएफओ सतीश नेगी कुनिहार व उनकी टीम को बधाई दी। इस अवसर पर आंवला, हरड़, कचनार, बेहड़ा सहित अन्य तीन सौ औषधीय पौधे रोपे गए। इससे पूर्व डीएफओ कुनिहार सतीश नेगी ने उपस्थित लोगों को वन मंडल कुनिहार चलाई जाने वाले विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी दी। 
उन्होंने बताया कि पूरे वनमंडल की 221 हेक्टेयर भूमि पर करीब सवा लाख पौधे रोपने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके अलावा उच्चा गांव की 5 हेक्टेयर वन भूमि पर भी 1500 पौधे रोपित होंगे। उन्होंने लोगों से वन संरक्षण के लिए आगे आने और विभाग की सहायता करने की अपील भी की। इस मौके पर अर्की भाजपा मंडलाध्यक्ष देवेंद्र शर्मा,इंद्र पाल शर्मा,सुरेश जोशी, दलीप पाल, हाटकोट पँचायत प्रधान सुनीता ठाकुर,कौशल्या कंवर,हंसराज ठाकुर, राजीव शर्मा, हेमंत शर्मा व अन्य उपस्थित रहे।
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गर्मियों में ठंड का लुत्फ़ उठाने के लिए पर्यटक, हिमाचल की ओर कर रहे हैं रुख

दिल्ली जैसे शहरों में तापमान 40 डिग्री से ऊपर है और हमारे हिमाचल में कईं जगह अभी बारिश, ओले और यहाँ तक की बर्फ भी गिर रही है। लोग हिमाचल की ओर रूख कर रहे हैं इस गर्मी से निजात पाने के लिए।


सभी पर्यटकों से अनुरोध है हमारे प्रदेश की सुंदरता को बनाए रखने में मदद करें और कूड़ा इधर उधर न फेंकें। जगह-जगह बोतलें, चिप्स के पैकेट आदि फेंक दिए जाते हैं। कूड़े को किसी डस्टबिन में डालें या फिर अपने बैग में डालें और उचित स्थान पर फेंकें। गाड़ी ध्यान से चलाए। आप यहाँ घूमने आते हो मस्ती करो लेकिन अपनी जान की बाजी लगाकर नहीं। ओवर स्पीड और ओवर टेकिंग के चक्कर में कितने हादसे होते हैं। ये आपके दिल्ली, चंडीगढ़ जैसी सीधी सड़कें नहीं है। ये पहाड़ों की सर्पीली सड़कें हैं। कृपया पर्यटकों से यह भी अनुरोध है कि नदियों के पानी में न जाएं क्योंकि कभी भी पानी बढ सकता है और कोई भी अनहोनी हो सकती है। सबको हैदराबाद से आए छात्रों केसाथ हुई दुर्घटना याद ही होगी।  जगह जगह गाड़ी रोककर या हर कहीं से भी गाड़ी निकालने की कोशिश न करें। इससे सड़कों पर जो जाम लगता है उससे आप लोगों को ही परेशानी होती है और साथ ही स्थानीय लोग भी प्रभावित होते हैं।


स्थानीय लोग भी पर्यटकों का मेहमान की तरह स्वागत करें। उनको अनजान समझकर लूटें ना ताकि हिमाचली लोगों की जो भोली-भाली, सीधी और ईमानदार छवि बनी है वो बरकरार रहे। उनको अपनेपन का एहसास दिलाएं ताकि लोग बार बार आएं और उनको कुछ तो फर्क लगना चाहिए कि वो हिमाचल में हैं। इससे ज्यादा से ज्यादा लोग यहाँ आएंगे जो हमारे प्रदेश की प्रगति और उन्नति के लिए एक कदम है और इसमें सब भागीदार बनें। अगर आप मेरी बातों से सहमत हैं तो कृपया शेयर जरूर करें।
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पकौड़े बेच हो रही लाखों की कमाई , कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता ने सच कर दिखाया कि पकौड़े बेचना भी एक रोजगार है

 पकौड़े बेचना भी रोजगार है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ समय पहले एक न्यूज चैनल पर ये बात कही थी।


 हालांकि पीएम मोदी के इस बयान के बाद विपक्ष ने खूब मजाक बनाया था।लेकिन अब विपक्ष यानी कांग्रेस पार्टी के एक कार्यकर्ता ने पीएम के बयान को सच कर दिखाया है।गुजरात के वडोदरा शहर में एक कांग्रेसी कार्यकर्ता ने पकौड़े का स्टॉल खोला जिसके बाद उनका इस धंधे ने रफ्तार पकड़ ली और अब उनकी शहर की 35 स्थानों पर फ्रैंचाइजी खुल गई।
जानकारी के अनुसार , कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता और हिंदी में पोस्ट ग्रेज्युऐट नारायण राजपूत ने पीएम नरेंद्र मोदी के पकौड़ा रोजगार बयान के बाद इस बिजनेस का विचार आया। जिसके बाद उन्होंने श्रीराम दालवड़ा सेंटर नाम से पकौड़ा स्टॉल शुरू किया। अब इसकी शहर के अंदर 35 फ्रैंचाइजी खुल चुकी हैं।गौरतलब है कि पीएम मोदी के भाषण के बाद नारायण  राजपूत  ने इसे चुनौती के रूप में स्वीकारा था।


नारायण राजपूत का कहना है कि वे कट्टर कांग्रेसी हैं और अगले जन्म में भी कांग्रेसी रहना चाहते हैं।उनका कहना है कि पीएम के बयान के बाद उन्हें लगा की इसकी पहल करनी चाहिए। जिसके बाद शुरूआत में नारायण ने 10 किलो मटेरियल के साथ पकौड़ा के स्टॉल शुरू किया।काम ने धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ी और अब वे 500 से 600 किलो मटेरियल के पकौड़े बेच देते हैं। नारायण पीएम मोदी को प्रधानमंत्री के तौर पर देश का सर्वोच्च नेता मानते हैं।
वहीं स्टाल का नाम श्रीराम रखने की वजह से उनका कहना है कि श्रीराम के नाम से पत्थर भी पानी में तैर सकता है, अमित शाह और नरेंद्र मोदी राम का नाम लेकर देश को चला सकते हैं तो उनका स्टाल भी इस नाम पर अच्छा चल सकता है। बता दें कि कुछ समय पहले पीएम मोदी ने न्यूज चैनल पर इंटरव्यू देते हुए कहा था कि अगर कोई व्यक्ति पकौड़ा बेचकर 200 रुपए कमाता है तो यह भी रोजगार है।
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अगर आप भी हैं ग्रह कालचक्र से परेशान तो करें ये आसान सा काम

गर्मियों में पक्षियों को पानी पिलाने से मिलते हैं कई लाभ, दूर होता है - ग्रह दोष


उत्तर भारत सहित देश के कई हिस्सों में इस समय प्रचंड गर्मी पड़ रही है। सूर्यदेवता सुबह से ही आग बरसाने लगते हैं ऐसे हालात में न सिर्फ मनुष्य बल्कि पशु-पक्षी भी बेहाल है।हिमाचल में भी बीबीएन सहित बिलासपुर,हमीरपुर सहित कई जिलों में गर्मी अपने पूरे चरम पर है।यंहा भी पशु ,पक्षी गर्मी के कारण पानी के लिए तड़फ रहे है।इस प्रचंड गर्मी में प्रदेश में मानवों के लिए जंहा कई जगह पर मटकों में पानी रख कर पियाऊ देखने को मिल जाते है ,उसी तरह इन पशु पक्षियों के लिए भी पानी रख कर इनकी जान बचाई जा सकती है।



ज्योतिष में भी कुछ उपाय बताएं गए है ,जिससे इस गर्मी में भी पुण्य लाभ कमाया जा सकता है। गर्मी के इस मौसम में घर के बाहर, छत पर या बालकनी में पक्षियों के लिए पानी जरूर रखना चाहिए, ताकि उन बेजुबान पक्षियों को भी पानी मिल सके। लेकिन क्या आप जानते हैं ज्योतिष के अनुसार भी पक्षियों को पानी पिलाने के बहुत से फायदे हैं। पशु पक्षियों को दाना और पानी पिलाने से भविष्य में आपके ऊपर आने वाली कई परेशानियां ये बेजुबान जानवर अपने ऊपर ले लेते हैं। इसके अलावा यह आपके ग्रह संबंधी दोषों को भी दूर करते हैं जिससे आपकी परेशानियां कम होने लगती है।



कुनिहार क्षेत्र के पंडित विनीत भारद्वाज व पंडित कामेश्वर शर्मा के कथनानुसार पक्षियों को पानी पिलाने के ये हो सकते हैं फायदे

1.ज्योतिष के अनुसार पक्षियों को पानी पिलाने से आपकी कुंडली के 7 दोष समाप्त होते हैं।
2.पक्षियों को पानी पिलाने से पितृदोष,वास्तु दोष मे कमी आती है और जीवन से परेशानियां कम होने लगती है।
3.अगर नौकरी में लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो पक्षियों को पानी पिलाने से यह समस्या दूर होने लगती है।
4.गर्मी में पक्षियों को पानी पिलाने का सबसे बड़ा फायदा आपके सेहत पर पड़ता है इससे आपकी सेहत अच्छी रहती है।
5.अगर आपको कोई काम बहुत लंबे समय से रुका हुआ है या फिर किसी कानूनी विवाद में फंसे है तो उससे भी मुक्ति मिल जाती है।

@akshresh sharma
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पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह ने जिला सोलन कुनिहार क्षेत्र की कविता का डॉक्टर बनने का सपना किया पुरा



जीवन में सफलता उन्हें ही मिलती है,जिनके सपनो में जान होती है।पंखों से कुछ नही होता ,हौसलों से उड़ान होती है।
इन पंक्तियों को साकार किया है कुनिहार विकास खण्ड के मान पंचायत के छोटे से गांव जयालंग की कविता ने।बचपन मे देखे इस सपने को इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला से एमबीबीएस पास कर डॉ० बनकर  आज कविता अपनी पंचायत की पहली एमबीबीएस डॉक्टर बन चुकी हैं जिसका श्रेय कविता ने अपने माता पिता तथा पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को दिया है ।
उन्होंने कहा कि यदि समय रहते प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह मेरी मदद ना करते तो शायद आज मैं इस मुकाम पर नहीं पहुंच पाती। बीपीएल परिवार से संबंध रखने वाली कविता के पिता रूपलाल खेतीबाड़ी करते हैं तथा माता लीला देवी गृहणी  है ।सातवीं कक्षा के बाद जेएनवी कुनिहार में 12वीं तक पढ़ी कविता की शिक्षा में बहुत रुचि थी तथा बचपन से ही उसने डॉक्टर बनने का सपना देख रखा था कविता कहती हैं कि जब वह हॉस्पिटल में जाती थी  तो वहां तैनात डॉक्टरों को देख कर उसका मन भी डॉक्टर की कुर्सी पर बैठने का होता था ।

परंतु बीपीएल परिवार से संबंध रखने वाली कविता  पिता की आर्थिक स्थिति देखकर डॉक्टर बनने के सपने को छोड़ देती थी ।कविता के पिता ने उसकी पढ़ाई की रुचि को देखते हुए यह फैसला किया कि उन्हें चाहे अपने खेत गिरवी क्यों न रखने पड़े लेकिन कविता को डॉक्टर बनाकर ही दम भरेंगे।कविता ने अपने पिता के इस हौंसले व प्रेरणा से एमबीबीएस की तैयारी शुरू कर दी।
इस बीच एमबीबीएस पास आउट करने के बाद कविता ने तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को एक पत्र  लेिखा तथा उनके निवास  हॉली लोज में मिले। जहां उन्होंने अपनी सारी व्यथा  मुख्यमंत्री के सामने सुनाई तो मुख्यमंत्री ने भी तुरंत यह फैसला लिया कि डॉक्टर बनने तक का उसका  सारा खर्चा सरकार वहन करेगी। 
कविता तथा उसके माता-पिता का खुशी का  ठिकाना नहीं रहा तथा दिसंबर 2018  उन्होंने  एमबीबीएस की डिग्री हासिल कर ली।आज वह  डॉक्टर बन चुकी है डॉक्टर कविता का कहना है कि जिस तरह पूर्व मुख्यमंत्री की सहायता से वह आज डॉक्टर बन चुकी  है।वह भी जीवन में हर गरीब आदमी की सहायता करेंगी।कविता ने कहा कि यदि उस समय प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने उसकी सहायता ना की होती तो वह अपने सपने को पूरा नही कर पाती।

@akshresh sharma
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जिस दिन आस्था के नाम पर किया गया दान गरीबो की मदद में काम आएगा उस दिन मेरा भारत महान कहलाएगा

हम ऐसे लोगो की मदद करने से पिछे क्यों रहते हैं जिनको आज मदद की सब से ज्यादा जरूरत होती है लोग आस्था के नाम पर लाखों लुटा देते हैं। परंतु अगर जरूरतमंदों  की मदद करने की बात आए तो अपने हाथ पिछे कर लेते हैं। जब अच्छे परिवार के बच्चों को उनकी  मां अपने हाथों से फल या खाना खिला रही होती है तब गरीबी से झुज रहे नोनीहाल खाने की तलाश में भटक रहे होते हैं। कुड़े कचरे के ढेर में अपने भविष्य को तलाश रहे नौनिहालों को अपने भविष्य की कोई चिंता नहीं है। उन्हें  दो वक्त का खाना मिल जाए बस।
क्या हम उनकी जिंदगी संवारने में एक पहल नहीं कर सकते। अगर हमारी कुंडली में ग्रह दोष  आ जाए तो हम उनके निवारण के लिए बिना सोचे समझे लाखों व्यर्थ कर देते हैं परंतु यही पैसा किसी जरूरतमंद की जिन्दगी बनाने में लग जाए तो इस से बड़ा पुन्य कुछ भी नहीं हो सकता ।अगर आपके आसपास कोई जरूरतमंद लोग दिखे तो उनकी तरफ मदद का हाथ जरूर बढाएं। भारतवर्ष में ना जाने कितने लोग रोजमर्रा की जिंदगी में भुखमरी के कारण मर जाते हैं। आज इंसान ने  इंसान को ही खुद का दुश्मन बना रखा है। अगर हर इंसान जो सक्षम है हर एक जरुरतमंद गरीब परिवार का हाथ थाम ले तो कभी भी गरीबी पनप नहीं सकती। 
भारतवर्ष में आस्था के नाम पर बडी बडी समितियां काम कर रही है जो लगातार भंडारे का आयोजन करवाती है। निर्धन लोगों के साथ वंहा सक्षम लोग भी प्रशाद ग्रहण करते  हैं। मंदिर में पत्थर की मूर्तियों को आलिशान मंदिररूपी भवन के रूप में बदल दिया गया  हैं क्या कभी ऐसी कमेटी भी तैयार होगी जो जरूरतमंद परिवारों के लिए जो जिंदगी की तलाश में भटक रहे  है उनके लिए रहने को छत खाने को दो वक्त की रोटी दे सकें।मेरा भारत तब महान कहलाएगा जिस दिन मंदिरों में दान किया गया पैसा बेघर गरीबों के लिए घर व मंदिरों में दान किया गया सोना किसी गरीब लडकी की शादी में उसके गले की शान बनेगा।  




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भांग पिने के शौकीन आखिर क्यों धुंए के कश के साथ लेते हैं शिव शम्भू का नाम


भोलेनाथ की नकल करने वालों से एक प्रश्न है कि अगर भोलेनाथ जो करते थे, ठीक वही तुम्हें भी करना है, तो तुम रोज जहर क्यों नहीं पीते। भगवान ने तो संसार के सबसे खतरनाक विष से भरा पूरा घड़ा पी लिया था। तुम उतना नहीं, तो आधा ग्लास ही पी लो। एक चम्मच ही पी लो। भगवान भोलेनाथ महीनों ध्यान में बैठे रहते थे। हिलते तक नहीं थे, तुम कुछ घंटे ही उस मुद्रा में बैठकर दिखाओ। अपने गलत नशे  को भगवान भोलेनाथ से मत जोड़ो। भोले शंकर ने  अगर भांग का सेवन किया होगा तो उसके पिछे रहस्य या सृष्टि की भलाई रही होगी। 


क्या कभी सोचा है कि भगवान और भांग के बीच क्या संबंध हो सकता है? जी हाँ, दोनों का आपस में संबंध तो है ही, तभी दोनो का नाम जुड़ता है। भांग भारत में कई सदियों से चली आ रही है। कुछ मान्यताओं के अनुसार भांग पांच पवित्र पौधों में से एक हैं और इस खुशी, सुख का स्रोत माना जाता है। पौराणिक कहानियों के आधार पर  समुद्र मंथन के दौरान अमृत से पहले  विष निकला, जिसे भगवान शंकर ने अपना भोग बनाया। विष पीने से उनकी स्थिति बिगड़ गयी और उसके प्रभाव को शांत करने के लिए भगवान शिव को भांग दी गई। इसके बाद से उनके साथ भांग का नाता जुड़ गया।  
भोलेनाथ को नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है। तर्क और दर्शन के आधार पर भगवान शंकर को हिन्दू धर्म में संहारक की उपाधि दी गई है। शिव की  भूमिका महाकाल के साथ काल में भी अहम है। समाज के हाशिए पर पड़े लोगों की पहचान बने शिव को उन चीजों से जोड़ा जाता है, जो समाज में खुल कर सामने नहीं आतीं। इसका एक उदाहरण भांग है। इसलिए भगवान शिव के साथ बहुत सारी ऐसे तर्क जुड़े हैं जो उन्हें धर्म में एक विशिष्ट जगह देते हैं। बस साथियों इतना ध्यान रखें कि मकसद आहत करने का नहीं, बल्कि उन तर्कों को खंगालने का था जिन पर शायद आपने पहले कभी न सोचा हो। 
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हिमाचल प्रदेश में कितने प्रतिशत लोग पोर्न वेबसाइट तलाश करते हैं

भारत सरकार ने पोर्नोग्राफी को रोकने के लिए एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है। लेकिन एक रिपोर्ट से ऐसा लगता है कि सरकार का यह कदम पर्याप्त नहीं है। सरकार ने जो कदम उठाया वह असरदार नहीं रहा। दरअसल इसी वर्ष भारत सरकार ने करीब 827 पोर्न वेबसाइट पर बैन लगा दिया है। इसके बावजूद एडल्ट कंटेंट देखने के मामले में भारत 2018 मे चौथे स्थान पर था परन्तु आज 2019  में तीसरे स्थान पर है। यह एक बेहद ही चौंकाने वाला नतीजा सामने आया है।
एक सर्वे के अनुसार हिमाचल प्रदेश में सब से कम 67 प्रतिशत एडल्ट कंटेंट देखने वाले लोग हैं जिसमें  से 24 प्रतिशत महिलाएं तथा 43 प्रतिशत पुरुष हैं। पोर्न वेबसाइट को सबसे ज्यादा 18 से 24 आयु वर्ग के लोगों द्वारा देखा गया है जिसमें सन्नी लियोन, मिया खलीफा व देसी पोर्न को सबसे ज्यादा तलाश करते हैं। 

सर्वे के अनुसार  चौंकाने वाला तथ्य यह सामने आया है कि भारत में एडल्ट कंटेंट देखने के मामले में 30% महिलाएं व 70% पुरुष हैं। साथ ही यह भी बताया है कि एक भारतीय औसतन 9 मिनट 30 सेकेंड तक कंटेंट को देखता है। और  हर सेकंड 75 gb डाटा इस्तेमाल होता है।  इसकी सबसे बड़ी वजह बताई गई है  डेटा प्लान का सस्ता होना। बताया गया है कि भारत में डेटा प्लान सस्ता होने के कारण लोग मोबाइल में सबसे ज्यादा एडल्ट कंटेंट देखते हैं। 


इसके अलावे भारतीय लोग इंडियन और हिंदी कीवर्ड से एडल्ट कंटेंट को इंटरनेट पर तलाशते हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारतीय लोग सबसे ज्यादा पोर्ट स्टार से बॉलीवुड अदाकार बनी सनी लियोनी को तलाशते हैं। इसके अलावे मिया खलीफा, मिया माल्कोवा, डैनी डेनियल्स आदि पोर्न कलाकारों के वीडियो की तलाश करते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार भारत में पोर्न वेबसाइट को देखने वाला 18 से 24 आयु के वर्ग के लोग हैं जिनकी संख्या लगभग 49 प्रतिशत  है उसके बाद 25 से 34 आयु वर्ग के 30 प्रतिशत,45 से 54 आयु वर्ग के 5 प्रतिशत  तथा 55  से अधिक आयु वाले 8 प्रतिशत  के लगभग है। 
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मानव समाज को प्रेम व सौहार्द से रहने का संदेश देते हुए गाय व कुत्ते की दोस्ती।

गाय व कुत्ते में मानो कोई पिछले जन्म का सम्बद्ध 



दोस्ती शब्द आपसी प्रेम को दृढ़ करता है।दोस्ती की कितनी मिसाले सुनने को मिलती है। बॉलीबुड में भी कितनी ही फिल्में दोस्ती शब्द की अहमियत को सार्थक करती हुई आपसी प्रेम को प्रदर्षित करती है।ऐसी ही आपसी दोस्ती की मिसाल कुनिहार क्षेत्र में भी चर्चित रही है,किन्तु ये दोस्ती इन्सानो की नहीं, अपितु दो जानवरो की है।जिनका आपसी प्यार देखते ही बनता है।मानव समाज को प्रेम व सौहार्द से रहने का संदेश ये दोनों जानवर देते हुए प्रतीत होते है।

कुनिहार बाजार में एक गाय व एक कुत्ते की दोस्ती लोगो के लिए चर्चा का विषय बनी हुई है।पिछले काफी दिनों से एक गाय व कुत्ता कुनिहार बाजार में हर वक्त एक दोस्त की तरह घूमते हुए देखे जा सकते हैं।कुनिहार बाजार,पुराना बस स्टैंड व लोगो के घरों में ,दुकानों में ये दोनों सुबह से शाम तक प्रतिदिन हाजरी देते है व लोग इन्हें पानी , रोटी व् कुछ न कुछ  अन्य सामग्री खाने को देते है। आज के युग में इंसानो में भी ऐसी दोस्ती देखने को नही मिलती ,जैसी इन दोनों में है।
इन्हें इस तरह हर वक्त एक साथ देख कर ऐसा लगता है मानो इनमे कोई पिछले जन्म का नजदीकी सम्बद्ध रहा हो।कुनिहार बाजार के कुछ लोगो का कहना है कि हमे पहले गाय को रोटी देने के लिए इधर उधर जाना पड़ता था, लेकिन आज कल तो गाय व  कुत्ता एक साथ हर रोज दरवाजे पर ही आ जाते हैं।जिससे हमें काफी खुशी मिलती है। ये दोनों रोटी खाकर आगे निकल जाते हैं।आज की भागम भाग जिंदगी में जंहा मानव मात्र दिखावे के लिए अपना प्रेम समाज मे जाहिर करते है,वंही ये गाय व कुत्ता समाज को प्रेम से रहने का संदेश देते नजर आते है।

Credit:Akshresh Sharma
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जहरीले सांप का जहर फोन पर ही उतार देते है जिला सोलन के सुरेन्द्र कुमार



सोलन (देव तनवर) 

परोपकार की भावना से किया गया कोई भी कार्य तभी सफल होता है ,यदि उसमे कार्य करने वाले का कोई भी निजी स्वार्थ न हो।ऐसी ही लग्न व निस्वार्थ सेवा भाव से जन सेवा कर रहे है जिला सोलन के सुरेन्द्र कुमार। रावमापा गुलरवाला में डीपी के पद पर तैनात सुरेन्द्र कुमार किसी भी जहरीले सांप का जहर फोन पर ही उतार देते है। खुदा की रहमत से उन्हें जहरीले सांपो को पकड़ने में भी महारत हासिल है।



सुरेन्द्र कुमार का कहना है कि वे 14 वर्ष की आयु से सांपो को पकड़ने का कार्य कर रहे है।आज तक 12031 कोबरा सांप,  9022 रेसर सांप,8010 रुस्सल वाईपर, 9000 सांप अन्य प्रजातियों के पकड़ चुके है।
वर्ष 2018 में ही कुल 6024 विषैले सांप पकड़ चुके है व आज तक कुल 38033 सांप पकड़ चुके है।हालांकि सांप पकड़ते हुए उन्हें 24 मर्तबा काट चुका है।लोगो कोे सांप काटने के इलाज फोन पर करके ही वे हजारो जिंदगियां बचा चुके है।

इस पुनीत कार्य के लिए हिमाचल सहित पंजाब,हरियाणा व चंडीगढ़ की 23 समाजसेवी संस्थाये सुरेन्द्र को सम्मानित कर चुके है।हिमाचल व हरियाणा के मुख्यमंत्रीयो द्वारा भी हॉकी,फुटबाल व एथेलेटिक्स के नेशनल कोच सुरेन्द्र कुमार को सम्मानित कर चुके है।सांप काटने का ईलाज मात्र फोन पर 5 तरह के बंधेज लगा कर करते है। 
जिस घर से सांप पकड़ते है,वंहा का पानी तक नही पीते है व न कुछ लेते है।यंहा तक की फोन की सूचना देने का बिल भी खुद देते है।सुरेन्द्र के परिवार में पत्नी सहित दो बेटियां व माता पिता है।आज उनकी एक बेटी भी सांप पकड़ने की कला में माहिर हो गई है व अपने पिता की तरह ही बड़े व विषैले सांप पकड़ कर पुण्य कार्य कर रही है।सुरेन्द्र कुमार ...9418472221 पर फोन करके सांप के काटने के इलाज के लिए सम्पर्क किया जा सकता है।
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कुनिहार रियासत का स्वर्णिम इतिहास


कुनिहार का शिव मंदिर तालाब में आज भी घोड़े की टापों और जूतों की आवाजें सुनाई देती हैं। लोगों को यकीन में रियासत के राजा आनंद देव सिंह आज भी अपनी रियासत की रक्षा के लिए यहां चक्कर लगाते हैं। आज भी स्वर्गीय राजा राय आनंद देव सिंह के घोड़े की टापों की आवाजें सुनाई दे जाती है। ऐसा लगता है मानो आज भी कोई देर रात को यहां के स्थानीय बाजार से पुरातन शिव मंदिर तालाब तक प्रहरी की तरह रखवाली कर रहा हो। यहां स्वर्गीय राजा राय आनंद देव सिंह अपनी रियासत की रक्षा कर रहे हैं। उनके वंशजो द्वारा उनकी स्मृति में एक मंदिर रूपी स्मारक भी बनाया गया है। बताया जाता है कि वर्ष 1799 में नालागढ़ एवं बाघल रियासत एक हो गए थे, दोनों रियासतों ने कुनिहार रियासत पर हमला करने की एक नाकाम कोशिश की थी।



शिवरात्रि के दिन  राजा राय आनंद देव सिंह पर धोखे से हमला करके उन्हें गोली मार दी गई थी। घायल होने के बावजूद भी स्वर्गीय राजा राय आनंद देव सिंह व उनके साथ चाकलू के मिया ने मिलकर दुश्मनों से काफी देर तक लोहा लिया लड़ते-लड़ते राजा राय आनंद देव सिंह घोड़े से एक जगह गिर गए व वीर गति को प्राप्त हुए। जंहां उनका शरीर गिरा उसी जगह उनका अंतिम दाह संस्कार किया गया। इतना ही नहीं राजा राय अमर देव सिंह की पत्नी भी उनके साथ ही सती हो गई थी। जिस स्थान पर राजा का अंतिम दाह संस्कार किया गया उस जगह को उस समय कुनिहार रियासत का देरा स्थान कहा जाता था। जो वर्तमान में लोक निर्माण विश्राम गृह कुनिहार के समीप है। वहीं उनके साथ चिता में सती हुई रानी की याद में आज भी पुरातन शिव मंदिर तालाब में सती मंदिर स्थापित है।



जिस दिन स्वर्गीय राजा राय अमर देव सिंह पर धोखे से हमला बोला गया वह दिन शिवरात्री का था कहा जाता है कि वर्ष 1799 से वर्ष 1947 तक कुनिहार रियासत में शिवरात्रि पर्व
मनाये जाने पर प्रतिबंध था। 10 जून 1948 को राजाओ के राज सरकार में विलय हो गए। उससे पहले कुनिहार रियासत की अपनी करंसी अपना कानून होता था व रियासत में प्रवेश करने के लिए कानूनी दस्तावेजों की आवश्यकता होती थी।



2900 के करीब आवादी वाले कुनिहार रियासत की सीमा करीब 36 किलो मीटर तक फेली हुई थी व सैनिको की सं2या करीब 15 00से अधिक रहती थी। इतना ही नही पहले एवं दूसरे विश्व युद्ध में भी कुनिहार रियासत के सैनिको ने लड़ाई में हिस्सा लिया था जिनके नाम आज भी इण्डिया गेट दिल्ली में अंकित है।
कुनिहार रियासत की 7 राजधानियां होती थी। जिसमे रायकोट, जाठीया देवी, पांव घाटी, सेरिघाट, कोटी, काणी व हाटकोट शामिल था। जिसमें दरबार लगा करता था। बैसाखी में मनाया जाने वाला लाहल मेला एवं बैहली में झोठो की लड़ाई मुख्य आकर्षण का केन्द्र माना जाता था। वहीं पुरातन शिव मंदिर तालाब कुनिहार के पंडित अरुण जोशी ने कहा कि तालाब में ही रानी का सती मंदिर है यंहा स्वाहगिन महिलाएं आकर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती है। कुनिहार रियासत के 388 पीढ़ी के राणा संजय देव सिंह आज भी अपने पूर्वकी पुश्तैनी धरोहरों को संजोए हुए हैं। आज भी राज दरबार कुनिहार में कई पुरातन पांडुलिपियों, राजाओं के समय के हथियारों और दस्तावेजों को देखने कई राज्यों से लोग आते जाते रहते हैं।

खास बातचीत में उन्हने बताया कि यह सच है कि आज भी स्वर्गीय राजा राय अमर देव सिंह जी के घोड़ों के टापों की आवाजे कभी कभार स्थानीय बाजार से लेकर पुराने शिव मंदिर तालाब तक  लोगो को सुनाई दे जाती है। उन्होंने स्वय भी आवाजों को महसूस किया है। उन्होंने कहा कि जिस स्थान पर राजा राय आनंद देव सिंह का पार्टीव शरीर युद्ध के दौरान गिरा था उसी जगह उनका अंतिम संस्कार किया गया व उनके साथ रानी भी सती हो गई थी।

आज भी पुराने शिव मंदिर तालाब में सती मंदिर स्थापित है। पूर्वज राजा हरदेव सिंह के नाम पर आज भी कुनिहार के हरदेवपूरा में विद्यालय चल रहा है। जो वर्ष 1932 खोला गया था। इतना ही नहीं कुनिहार के स्थानीय विद्यालय को करीब 20 बीघा भूमि दान स्वरुप दी गई थी। उस समय कई पाकिस्तानी शर्णार्थियों को भी कुनिहार रियासत में बसाया गया। करीब 288 जमीनों की रजिस्ट्रियां करवाई गई। कई गांव बसाए गए थे।
© Dev Tanwar..
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हिमाचल प्रदेश जिला सोलन कुनिहार की नर्वदा कँवर ने सामाजिक उत्थान में लिख डाली कई इबारतें।

जज्बा:
समाज सेवा का जज्बा हो तो अपने गांव और देश की माटी को सात समंदर पार से भी सींचा जा सकता है। हिमाचल प्रदेश सोलन कुनिहार की 67 वर्षीय नर्वदा कंवर  ने कुछ ऐसा ही करके दिखाया है। ब्रेस्ट कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को मात देकर नर्वदा ने कई घरों में रोशनी की है कई बेटियों के मंडप नर्वदा की बदौलत सजे हैं। हालांकि वह अमेरिका में अपने बेटे के साथ रह रही थी परंतु अपनी मिट्टी से इस तरह लगाव था जो इन्हें अपने गांव खिंच लाया।



सोलन कुनिहार की नर्वदा कँवर ने  सामाजिक कार्यो में लिख डाली कई इबारतें किसी भी क्षेत्र  विकास कार्यो में महिलाये पुरषों के मुकाबले कम नहीं है परिवार या समाज का विकास महिलाओं के बिना अधूरा है कुछ कर गुजरने का जज्बा लिए जिला सोलन के शहर कुनिहार में रहने वाली नर्वदा कँवर ने 1952 में जन्म लिया और समाज सेवा को महान कार्य  मानती  है समाज के गरीब तबके को आगे बढ़ने की प्रेणना ही उनका मुख्य उदेशय है।


नर्वदा कँवर ने वर्ष 2000 में पंचायती चुनाव लड़कर  सोलन कुनिहार (हाटकोट )पंचायत की प्रधान बनी व  क्षेत्र के विकास के लिए इन्होने जान लगा दी। विकलांग ,विधवा महिलांओं व बुजुर्गो को सरकार से पेंशन का हक़ दिलवाया। साथ ही यंहा के गरीब लोगों की लड़कियों को  पड़ने व् शादी करवाने के ली विभिन्न महकमों से राहत भत्ते भी दिलवाये। समाज सेवा  के साथ नर्वदा कँवर पर्यावरण प्रेमी भी है। पेड़-पोधो से  लगाव रखने के साथ वे बरसात के मोसमो में लोगो के सहयोग से पौधे भी लगाती है।

कुनिहार की प्राचीन शिव तांडव गुफा में बतौर कमेटी प्रधान होने  के नाते उन्होंने वर्ष 1999 से 2002 व 2008 से 2016 तक गुफा के सौन्दर्यीयकरण एवं विकास रवाने में अपनी अहम् भूमिका निभाई। 67 वर्षीया नर्वदा कँवर इस भागदौड़ की जिंदगी में आज भी गरीबो की सेवा करने में लीन रहती है भगवन के प्रति अटूट श्रद्धा का अंदाज इसी बात से ही लाया जा सकता है कि उन्होंने शिव गुफा के सरांय  भवन निर्माण के लिए 2014 में पर्यटन मंत्री से 10 लाख तथा भाषा  एवं संस्कृति विभाग से 14 लाख कि राशि दिलवाई।

वंही समाज सेविका नर्वदा कंवर के नाम एक और उपलब्धि इतिहास में दर्ज है उन्होने वर्ष 2004 में नया बस अड्डा कुनिहार को सम्पूर्ण तौर पर  संचालित करने हेतु व् क्षेत्र के युवाओ  को रोजगार दिलवाने के लिए  नया बस अड्डा में पंचायत के माध्यम से कई दुकानों का निर्माण करवाया ,जिसका लाभ आज युवाओ को मिल रहा है।कठिन परिश्रम  की धनि एवं सामाजिक  क्षेत्र का जाना मानाचेहरा नर्वदा कँवर ने सामाजिक दायित्वों को एक ऊँचे मुकाम तक तथाउन्हें सही दिशा दिलवाने में अपना अहम् योगदान दिया है अपने सामाजिक दायित्वो को समझते हुए पीछे  मुड़कर  नहीं देखा। और हर जरुरत मंद लोगो को सहारा देती है नर्वदा कँवर द्वारा समाज हित में किये गए कार्य  लोगो की जुबां पर विद्मान है। 

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हौसले बुलंद हो तो इन्सान कुछ भी कर गुजरने की हिम्मत रखता है

हौसले बुलंद हो तो इन्सान कुछ भी कर गुजरने की हिम्मत रखता है कुनिहार विकास खण्ड की कोठी पंचायत के 72 वर्षीय किसान हेम चन्द ठाकुर ने हिम्मत नहीं हारी परन्तु हर मुश्किल का सामना कर के आगे बढ़ने का सबक लेते रहे


आजादी के 72 वर्षों के बाद भी  गावं तक सड़क नही होने का मलाल है हेम चन्द ठाकुर को ।1971 में हिमाचल प्रदेश राज्य के रूप में अस्तित्व आने के बाद भी 47 वर्ष बीत जाने पर भी सड़क गावं तक नही बनी।पंचायत व प्रदेश में सत्तासीन रही भाजपा व कांग्रेस के विधायक भी चुनाव के समय मे सिर्फ कोरे आस्वाशन ही आज तक देते रहे।विदित रहे कि कुनिहार पहले एक पंचायत होती थी फिर दो हुई व आज कुनिहार क्षेत्र तीन पंचायतो में बदल चुका है।



पिछले 47 वर्षों से इन तीनो पंचायत प्रतिनिधियों से भी सड़क बनाने की गुहार लगाने के बाद जब निराशा ही हाथ लगी तो खुद ही सड़क बनाने का निर्णय लिया।1965 से खेती बाड़ी करके नगदी फसलें उगा कर आजीविका चलाने वाले हेम चन्द ने 1975 से पशु पालन को भी अपने स्व रोजगार से जोड़ा व 5  गायो से डेयरी शुरू की। 47 वर्षो से लगातार कुनिहार बाजार के कई घरों में दोनों हाथों में करीब 20 20 लीटर दूध की बाल्टियां 72 वर्ष की उम्र में उठा कर लाना व करीब 2 किलो मीटर की खड़ी चढ़ाई में चलना इनके जज्बे को खुद ब्यान करता है

सर्दी हो, गर्मी हो या फिर भारी बरसात अपने कार्य के प्रति लगाव व मोहब्बत साफ बयां करती है, कि इनके अपनी जिंदगी के नियम क्या रहे होंगे।हर जगह से निराश होने के बाद अपने जमीर की आवाज को सुनते हुए अपने घर बाग(कोठी) तक सड़क बनाने का फैसला लिया व उद्यान विभाग की नर्सरी तक हाटकोट पंचायत द्वारा बनाई गई सड़क से आगे करीब 2 किलो मीटर सड़क का निर्माण अपने खून पसीने की कमाई से कर दिया।


सड़क बनने से अपनी भावी पीढ़ी के लिए देखे सपने के साकार होने का नूर हेम चन्द  जी के चेहरे पर देखा जा सकता है व अब सड़क बन जाने पर अपनी जमीन पर बोर करवा कर उन्नत खेती करने का बुलन्द इरादा बना लिया है। विदित रहे कि अभी हाटकोट पंचायत द्वारा खटनाली स्थित उद्यान विभाग की नर्सरी व  पंचायत द्वारा निर्मित श्मशान घाट तक लोगो को सड़क सुविधा मिल रही थी,जो कि अब हेम चन्द के निजी प्रयासों से बाग(कोठी) गावं तक हो गई है।
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