FITNESS लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
FITNESS लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

अधिशाषी अभियंता कंचन शर्मा ने किया दूरस्थ हवानी कोल स्कीम का निरीक्षण

अर्की (विमल मौर्य)

अर्की जल शक्ति मंडल की अधिशाषी अभियंता कंचन शर्मा ने पिछले कल अपने मंडल की दाड़ला उपमंडल के अंतर्गत दूरस्थ बहाव पेयजल योजना हवानी कोल का निरीक्षण किया। गौरतलब है
कि यह योजना " कोल" गांव के अंदर है और कोल गांव न केवल अल्ट्रा टेक सिमेंट कंपनी  अपितु कोल बांध परियोजना से भी प्रभावित हैं।बहाव पेयजल योजना के निरीक्षण के साथ अधिकारी ने कोल गांव के प्राकृतिक स्रोतों का निरीक्षण भी किया व वहां वृक्षारोपण भी किया।जल को लेकर एक विवाद को सुलझाते हुए कंचन शर्मा ने ग्राम वासियों को जल संरक्षण, प्राकृतिक स्रोतों के रखरखाव व कोविड के चलते सावधानियां बरतने की हिदायत दी।
उन्होंने गांव वालों से उनकी पेयजल योजनाओं के सुधार के लिए अल्ट्राटेक सीमेंट फैक्ट्री से बात करने का आश्वासन दिया।
इसके साथ कंचन शर्मा ने अपने फील्ड स्टाफ को जल स्त्रोतों के रख रखाव के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की हिदायत देते हुए  उन्हें मास्क  भी वितरित किए। उनके साथ सहायक अभियंता  दाड़ला महेश  कुमार, कनिष्ठ अभियंता कंदर ओम प्रकाश व फील्ड स्टाफ मौजूद रहा।


Continue Reading

जिला सोलन कुनिहार के धर्मेंद्र कुमार ने अपने पुराने स्कूटर से मात्र 3000 रुपये में बना डाला ट्रेक्टर




कुनिहार (देव तनवर)

वैष्विक महामारी के चलते जब देश भर में लोकडॉन हुआ तो लोगों ने अपने घरों में तरह तरह का काम करना शुरू कर दिया था।किसी ने घर की सफाई,पेंटिंग तो किसी ने अपने बगीचे को सँवारना शुरू किया। परन्तु कुनिहार क्षेत्र के साथ लगती कोठी पंचायत के गांव बनिया देवी के धर्मेंद्र कुमार ने इस लोकडॉन का भरपूर फायदा उठाया और घर बैठे पुराने स्कूटरों से दो ट्रैक्टर तैयार कर दिये।
जानकारी देते हुए धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि वो लगभग 5 वर्षों से मेकेनिक का कार्य कर रहा है ओर वो एक मेहनतकस इंसान है।उन्हें समय बर्बाद करना सही नही लगता।
जब लोकडॉन कि देश मे स्थिति बनी और घर मे उनको कोई काम नही सुझा तो उन्होंने पुराने स्कूटर के इंजन से ट्रेक्टर तैयार कर दिए।   
उन्होंने कहा की मेरी मकेनिकल की दुकान है और कुछ नया करने का जज्बा शुरू से ही मेरे मन था धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि पुराने इंजन से हल जोतने वाला ट्रैक्टर बनाने में शुरुआत में काफी समस्या आई, लेकिन बार-बार की मेहनत व लग्न से यह मुकाम हासिल कर लेने में सफल हुए।ये इंजीनियर नहीं बल्कि बारहवीं पास हैं। मात्र 3 हजार रुपये में तैयार किए इस ट्रैक्टर में तीन हल लगे हैं। रिंग व डबल रिंग तीन प्रकार के टायर वर्जन में बने इस ट्रैक्टर में एक लीटर पेट्रोल डालकर एक बीघा जमीन की जुताई की जा सकती है।
धर्मेंद्र ने बताया कि उन्होंने जितना ज्ञान था  अपने कार्य का उपयोग कर स्कूटर के इंजन से हल जोतने वाले ट्रैक्टर में तबदील करने में सफलता प्राप्त की है।जबकि धर्मेदर कुमार बडोरि घाटी मे मैकेनिक की दुकाँन करता है।
उन्होंने ने बताया की जब लाॅक डाउन लगा था।और दुकाने बन्द थी तब घर मे रह कर एक पुराने स्कूटर से ट्रैकटर बनाने सूझा।क्यों की उनके खेतों मे ट्रैक्टर नही जाता था। तब तीन दिन में यह ट्रैक्टर बना दिया। जिसमें तीन हजार रुपए का खर्चा आया। जबकि बेल्डिंग मसीन व अन्य समान अपनी दुकाँन मे था।उन्होंने ने बताया की जिनके पास पुराना स्कूटर नही है तो उनको कबाड़ से पुराना स्कूटर लेकर दस से पन्द्रह हजार रुपए मे यह ट्रैक्टर तैयार सकता है।

धर्मेंदर कुमार के मुताबिक यह ट्रैक्टर हमारे क्षेत्रों के किसानों के लिए वरदान साबित होगा। इसे छोटी से छोटी जगह ले जाया जा सकता है। इसमें वाइब्रेशन न होने के कारण स्वास्थ्य पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
धर्मेंदर कुमार ने कहा कि इस ट्रैक्टर में भविष्य में बदलाव लाएंगे। इसमें खेत से कचरा, घास व अन्य खरपतवार की सफाई करने के लिए उपकरण लगाएं जाएंगे।
जुताई के साथ-साथ इस ट्रैक्टर से खेत की सफाई भी होगी। भविष्य में धर्मेंद्र कुमार ने ऐसा ट्रैक्टर बनाने की सोची है जिसमे बैठ कर हल जोता जा सके।उन्होंने अपने क्षेत्र के लोगो को भी समाज सेवा के रूप में कबाड़ से सस्ता ट्रेक्टर बनाने के लिए उनकी मदद के लिए कहा है।ताकि जिन क्षेत्रों में बड़े ट्रेक्टर न पहुंच सके वँहा ये स्कूटर के इंजन से बना ट्रेक्टर  पहुंच सकता है।
अपने कार्य के शुरुआती दौर में यूट्यूब व अपने मकेनिकल कार्य के ज्ञान का उपयोग करके उन्होंने अपने घर मे पड़े पुराने स्कूटर को उसे हल जोतने वाले ट्रैक्टर में तबदील करने में सफलता प्राप्त की।
Continue Reading

काले बुखार की तरह है कोरोना महामारी ...जगत राम वेश


कुनिहार (देव तनवर) 

 आज पूरा विश्व कोरोना जैसी वैष्विक महामारी से जूझ रहा है यह एक ऐसी मानवीय संक्रामक बीमारी है जिसके उपचार के लिए अभी तक कोई भी दवाई नही बनी है सभी देश इस बीमारी का उपचार ढूंढने में लगे है कहा जा रहा है कि कोरोना संक्रमण बहुत तेजी से बच्चो और बुढो में फैल रहा है।लोग भी इस संक्रमण से काफी भयभीत है 
इस विषय में लगभग 90 वर्षीय बुजुर्ग से खास बातचीत करते हुए उनसे इस संक्रमण के बारे में जानने की कोशिश कि की वो इस गंभीर महामारी के बारे में क्या सोचते है इसी कड़ी में हमारी बात सेवानिवृत्त अध्यापक जगत राम वेस से हुई जिनका जन्म 21 सितम्बर 1931 को कुनिहार के साथ लगती कोठी पंचायत के गांव बनिया देवी में हुआ। इनके ही प्रयासों से "हर गांव की कहानी" में इनके गांव बनिया देवी का नाम हिमाचल के मानचित्र में आया था।
उन्होंने बताया कि कोरोना से भी भयानक महामारियां देश मे आ चुकी है जिस समय देश व प्रदेश में स्वास्थ्य की सुविधा गिनी चुनी होती थी।
उन्होंने कहा कि 1940 में जब हैजा गंदे पानी पीने से फैला तो लोगो को उल्टियां व दस्त लगने के कारण ब्लडप्रेशर बढ़ता था जिस से मौत तक हो जाती थी।हैजा पूरे भारत मे ऐसा फैला जिस के कारण उस समय लाखों लोगों की मौत हो गई थी महामारी के कारण गांव के गांव साफ हो गये थे । उसी तरह प्लेग,चेचक व स्वाइन फ़्लू जैसी महमारिया भी मेरे सामने आ चुकी है जिसका इलाज ढूंढते सालो लग गये।तब तक लाखो लोगो की आहुति लग चुकी थी।उन्होंने सिप्लिस जैसी एक महामारी के बारे में भी जानकारी दी उन्होंने बताया कि जब वो महासू सिरमौर में अध्यापक के तौर पर कार्यरत थे तब पहाड़ो में सब से ज्यादा लोग सिप्लिस महामारी से ग्रस्त थे यह बीमारी एक से ज्यादा महिलाओं से संबंध बनाने से होती थी जिनमे आदमी की ऑर्गन ओर महिलाओं के विट्र्स को गला देती थी।उनके शरीर मे कीड़े तक पड़ जाते थे।इस बीमारी का सब से ज्यादा फैलने का कारण अनपढ़ता थी और न ही लोग उस समय जागरूक हुआ करते थे।
उसके बाद उन्होंने टीवी की बीमारी के बारे में जिक्र किया उनके अनुसार उस समय यह बीमारी नवाबों व अमीर लोगों में ज्यादा हुआ करती थी।उन्होंने धर्मपुर के आर के डी हॉस्पिटल का भी जिक्र किया जंहा पर लखनऊ के नवाब व भारत के कोने कोने से टी वी के मरीज आते थे।उन्होंने बताया कि चीड़ के पेड़ों की हवा भी टीवी के मरीजों के लिये औषदि का कार्य करती है धर्मपुर के आर के डी हॉस्पिटल के आस पास भी काफी चीड़ के पेड़ हुआ करते थे। अंत मे उन्होंने काला बुखार जोकि 1920-22 के दशक में भारत मे फैला था इस बुख़ार के कारण लाखों लोगों की मौत हो गई थी इसकी तुलना कोरोना जैसी वैश्विक बीमारी से की है उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में भी लोग बुखार और गले दर्द से मर रहे है और उस समय भी लोग काला बुख़ार से मरे।
काला बुखार का उस समय इलाज नही मिल पाया और ये बहुत तेजी से फैला ओर लाखो लोगो की मौत कारण भी बना।
देश मे उस समय हस्पताल की सुविधा बहुत कम हुआ करती थी।पोस्ट ऑफिस में दवाइयां मिला करती थी।तब पोस्ट ऑफिस को दवाखाना भी कहा जाता था।गांव के ज्यादातर लोग गांव के वैद के पास उपचार के लिए जाया करते थे जोकि आयुर्वेदिक दवाइयों से इलाज करते थे।उनके अनुसार कुनिहार में बहुत से प्रचलित आयुर्वेदिक वैद हुआ करते थे जिनमें शंकर लाल जोशी,सोहन लाल जोशी,बृजलाल वेद,केदार नाथ,तुलसी राम,आशाराम वेद रिवीं आदि। हमारे समय मे हस्पताल की सुविधा बहुत कम थी लोग भी साक्षर नही थे।दवाइयों की भी कमी होती थी।लोग इस वजह से मरते थे।परंतु आज के समय मे हर गांव ,मोहल्ले ,शहर में स्वास्थ्य की अच्छी सुविधा है। अभी देशों के डॉक्टर बड़ी गंभीरता से कोरोना का इलाज ढूंढ रहे है।और उन्हें जल्दी ही उपलब्धि हासिल होगी।
 
Continue Reading

हिमाचल प्रदेश जिला सोलन कुनिहार की मनोरमा पलक झपकते निकाल देती है आंखों से कूड़ा ।

समाज सेवा में इस निस्वार्थ पुनीत कार्य के लिए कई समाजसेवी संस्थाए कर चुकी है सम्मानित।


कुनिहार (देव तनवर)

हिमाचल प्रदेश जिला सोलन के कुनिहार क्षेत्र की मनोरमा शर्मा को आंखों से कूड़ा निकालने वाली महिला के नाम से भी जाना जाता है। उनके हाथों में ऐसा जादू है कि आंख में किसी भी प्रकार का कोई कूड़ा-कर्कट पड़ जाए तो वह बड़ी आसानी से उसे निकाल देती हैं ।घास,लोहे के कण,कांच सहित आंख में पड़े किसी भी चीज को बड़े ही कुशलता से सहज ही निकाल लेती है।वह पिछले करीब 43 वर्षों से यह काम कर रही हैं
 मनोरमा के घर हाटकोट पँचायत कुनिहार में सुबह से लोग पहुंच जाते हैं वह निस्वार्थ इस कार्य को करती है ताकि उसके हाथों से सभी का भला होता रहे।सर्वप्रथम उसने अपने पड़ोस की एक बच्ची की आंख से कूड़ा निकाला था। उसके बाद से यह सिलसिला आज तक जारी है।इस कला को वह भगवान का आशीर्वाद मानती है।  छोटी सी माचिस की तीली में रूई लगाकर वह आसानी से आंख से कूड़ा निकाल देती हैं।
इसके अतिरिक्त आंख में पड़े कांच या लोहे के कणों को बॉयल्ड सुई ,ब्लेड या प्लकर की मदद से सहज ही निकाल लेती है

उन्होंने बातचीत में बताया कि उनके पास कैंसर स्पेसलिस्ट डॉ परिहार व आंखों के स्पेसलिस्ट डॉ जिनकी आंखों में इंजेक्शन की ट्युब का कांच गिरा था उसे भी निकाल चुकी है।
इन 43 वर्षों में वह हजारो लोगो की आंखों से कई तरह का कूड़ा कचरा निकाल चुकी है।मनोरमा ने सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अर्की में प्रशिक्षण भी लिया है। उनको इस जनहित कार्य के लिए पंचायत व कई सामाजिक संगठन सम्मानित कर चुके है। सामाजिक सेवाओं के लिए वह डी.सी. सोलन द्वारा भी सम्मानित हो चुकी हैं। उन्हें इस बात का मलाल है कि उन्हें आज तक किसी भी सरकार से प्रोत्साहन नहीं मिला।




Continue Reading

मालिश से बंद पड़ी नसों को खोल देती है जयदई


समाज में बहुत सारे लोग होते हैं जो दूसरों के लिए जीते हैं ऐसे ही एक शख्सियत जयदई जोकि कुनिहार के साथ लगती जाडली पंचायत की निवासी है 60  वर्षीय जयदई  पिछले 25 वर्षों से दाई का काम कर रही है और लगभग 15 वर्षों से अपने हुनर द्वारा कई मरीजों को मालिश से ठीक कर चुकी है।  गौर रहे की नसों संबंधित बीमारी के लिए तो जयदई अर्की क्षेत्र में जानी जाती है।  जी हां अगर किसी के हाथ, पैर, बाजू व टांगे सुन होकर अकड़ जाती है या किसी दुर्घटना में चोट के कारण  शरीर का कोई हिस्सा सुन होने पर वह मालिश विधि द्वारा इलाज करती है  जो मेडिकल साइंस में भी कई बार विफल हो जाता है ऐसे बहुत सारे उदाहरण हैं जो मरीज खुद अपनी जुबानी बताते हैं  जयदई को शरीर के अंगों के टुट - फुट जाने मांसपेशियों में खिंचाव आ जाने से असहनीय दर्द भी को भी ठीक करने महारत हासिल है।  यही नहीं जयदई काफ़ी सालो से किसी के बच्चा ना हो रहा हो उस के लिए भी आयुर्वेदिक दवाई खुद तैयार करती है।



कुनिहार के साथ लगते चचेड गांव कि रामदेई का घुटना मुड़ गया था कई जगहों से स्वास्थ्य लाभ लेने के बावजूद ठीक नहीं हो पा रही थी उनके पास एक मात्र विकल्प PGI चंडीगढ़ ही बचा था उनको  किसी ने जयदई  के पास एक बार दिखाने की सलाह दी।  कुनिहार के नजदीक जाडली गांव में जयदई के पास ले जाने के बाद उन्होंने उनके मुडे घुटनों की बारिकी से मालिश की।  जयदेई ने बताया कि घुटना मुड जाने के कारण नशे काम नहीं कर रही थी जिस कारण से नसे ठंडी और कमजोर पड़ गई थी।  करीब 1 हफ्ते के बाद अब  रामदेई  ने अपने बल पर आसानी से चलने फिरने लगी है।



जयदई की मानें तो बहुत बार नसों की बीमारी एक्स-रे में भी नहीं आती है कई बार ऐसे मरीज IGMC शिमला व PGI चंडीगढ़ से भी वापस आकर मेरे पास ठीक हुए हैं।  बिल्कुल साधारण दिखने वाली जयदई में  असाधारण अलौकिक गुण हैं जिनके कारण वह लोगों की सेवा करती है प्रचार प्रसार से कोसों दूर इस शख्सियत के पास न जाने कहां कहां से ऐसे मरीज रोज आ जाते हैं।  जिनकी वह बिना किसी भेदभाव के सेवा करती है।

कुनिहार के  नजदीक गांव आईथी की रहने वाली गीता देवी के  हाथ फैक्चर हुआ जिनका इलाज चंडीगढ़ में चल रहा था हाथ का प्लास्टर उतरने के बाद उनके हाथ ने काम करना बंद कर दिया था जयदई का पता लगने के बाद वह तुरंत उनके पास गए  वह अपना इलाज करवाया।  गीता देवी का कहना है कि जयदेई के हाथों में कुछ ऐसा जादू है दर्द उनके छुने  से ही गायब हो जाती है।  आज  मेरा हाथ उनकी बदौलत ठीक हुआ है
जयदई  का कहना है कि मुझे ईश्वर की अनुकंपा से यह सेवा करने का मौका मिला है।   उनका कहना है कि कोई ईश्वरीय वरदान है जो मेरे साथ है जिसकी वजह से मरीज अपने आप हाथ लगाते ही ठीक हो जाते हैं मैं निस्वार्थ ही इस सेवा को पिछले 15 वर्षों से कर रही हूं कभी-कभी तो 25-30 लोग भी पहुंच जाते हैं मुझे उनकी मदद करने में अच्छा लगता है।


इनसे संबंधित जानकारियों के लिए कृपया पेज (BlackZlife) पर संपर्क करें..

Continue Reading

About Us

Like Us

Designed By Seo Blogger Templates- Published By Gooyaabi Templates