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Cryptocurrency Ban: भारत में क्रिप्टोकरेंसी खरीदने-बेचने पर 10 साल की जेल

क्या है क्रिप्टोकरेंसी?

क्रिप्टोकरेंसी एक ऐसी करेंसी है जिसे आप देख नहीं सकते। आसान शब्दों में आप इसे डिजिटल रुपया कह सकते हैं। क्रिप्टोकरेंसी को कोई बैंक जारी नहीं करती है। इसे जारी करने वाले ही इसे कंट्रोल करते हैं। इसका सबसे बड़ा नुकसान यह है कि क्रिप्टोकरेंसी में धांधली को लेकर आप शिकायत नहीं कर सकते, क्योंकि यह किसी देश के कानून के दायरे में नहीं आता। इसका इस्तेमाल भी डिजिटल दुनिया में ही होता है।


यदि आप भी उनलोगों में से एक हैं जो भारत में डिजिटल करेंसी क्रिप्टोकरेंसी को सरकारी से हरी झंडी मिलने का इंतजार कर रहे थे तो आपके लिए बड़ी खबर है। देश में क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता मिलने की उम्मीद अब खत्म ही हो गई है। दरअसल क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2019 (Banning of Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill, 2019) के ड्राफ्ट में यह प्रस्ताव दिया गया है कि देश में क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री करने वालों को 10 साल की जेल की सजा मिलेगी।
ड्राफ्ट के मुताबिक इसकी जद में वे सभी लोग आएंगे जो क्रिप्टोकरेंसी तैयार करेगा, उसे बेचेगा, क्रिप्टोकरेंगी रखेगा, किसी को भेजेगा या क्रिप्टोकरेंसी में किसी प्रकार की डील करेगा। इन सभी मामलों में दोषी पाए जाने पर 10 साल की जेल होगी। 

क्रिप्टोक्यूरेंसी पर प्रतिबंध और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2019 से तमाम क्रिप्टोकरेंसी कंपनियों को झटरा लगा है जो क्रिप्टोकरेंसी को लेकर काम कर रही हैं। बता दें कि इस बिल को ड्राफ्ट करने वाले पैनल के अध्यक्ष इकोनॉमिक अफेयर्स सेक्रेटरी सुभाष चंद्र गर्र कर रहे हैं। इस पैनल में सेबी भी शामिल है। पैनल के द्वारा दिए गए प्रस्ताव के मुताबिक क्रिप्टोकरेंसी में डीलिंग गैर-जमानती माना जाएगा, हालांकि इस पैनल ने डिजिटल करेंसी लॉन्च करने का सुझाव भी दिया है।

बता दें कि कुछ दिन पहले एक रिपोर्ट सामने आई थी जिसमें दावा किया गया था कि फेसबुक खुद की क्रिप्टोकरेंसी लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। इसके अलावा यह भी खबर थी कि व्हाट्सऐप के लिए भी क्रिप्टोकरेंसी जल्द ही लॉन्च होने वाला है।
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वफादारी का किस्सा सुन रो पड़ेंगे आप, मालिक के इंतज़ार में कुत्ते ने दरवाज़े पर काट लिए 3 साल,

यूं तो वफादारी की लाखों कहानियां हैं जिसने खूब वाह-वाही बटोरी हैं। वैसे वफादारी के मामले में इंसान से लेकर जानवर तक पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवा चुके हैं। लेकिन कुल मिला जुलाकर देखा जाए तो इसमें कहीं न कहीं इंसानों के मुकाबले जानवर हमेशा एक कदम आगे ही रहे हैं। इसके पीछे एक मेन वजह ये है कि इंसान की वफादारी के पीछे उनका मतलब भी जुड़ा होता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि ऐसे सभी मामलों में इंसान वफादारी के बदले अपना मतलब देखता हो, लेकिन कई मामलों में ऐसा होता ही है।




फिर भी कहानियां जो भी हो, लेकिन कुत्तों की वफादारी वही जानता है जिसने किसी कुत्ते को पाल रखा होगा या अभी भी पाल रहे हैं। जिस कहानी के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, हो सकता है इसे सुनकर आपकी आंखें भर आएंगी। इस कहानी को सुनने के बाद आप उस वफादार कुत्ते के फैन हो जाएंगे, जिसकी कहानी हम बताने जा रहे हैं। दरअसल जिस कुत्ते की हम बात कर रहे हैं उसने वफादारी के मामले में पूरी दुनिया में अपनी मिसाल कायम कर दी है। बताया जाता है कि दक्षिण कोरिया के इस कुत्ते ने करीब तीन साल तक अपने मालिक का इंतज़ार किया। इंतज़ार भी ऐसा कि इस कुत्ते ने एक बंद दरवाजे के पास ही तीन साल बिता दिए। पूरा वाक्या बुसान सिटी का है।


कुत्ते का नाम फू शी है। जिसे एक बूढ़ी औरत ने सड़क से उठाकर अपने घर ले आई थी और कुत्ते का नामकरण कर दिया था। कहते हैं कि फू शी ने अपनी मालकिन के साथ काफी समय बिताया जो एक बेहद शानदार दौर था। लेकिन कुदरत की मार ऐसी पड़ी कि कुत्ते की मालकिन बूढ़ी औरत को ब्रेन हैम्‍ब्रेज हो गया था। भयानक बीमारी के बाद अस्पताल में बूढ़ी अम्मा ने दम तोड़ दिया। अम्मा की मौत के बाद बेचारा फू शी बिल्कुल अकेला हो गया। उसकी देखभाल करने वाला अब इस दुनिया कोई नहीं था।




अपनी मालकिन की मौत के बाद बेचारा कुत्ता दर-दर की ठोकरें खाने लगा। दिन भर कोरिया की सड़कों पर भटकने के बाद वह शाम को अम्मा के घर के बंद दरवाज़े पर जाकर बैठ जाता था। फू शी दरवाज़े पर बैठकर ही अम्मा का इंतज़ार करता रहता था। ऐसे ही करते-करते उसने तीन साल गुज़ार दिए। इस मुश्किल की घड़ी में उसे वहां के कुछ लोग खाना खिला देते थे। लेकिन अपनी मालकिन के बिना कुत्ते के हलक से वो खाना नीचे उतरता ही नहीं था। आस-पास के लोग बताते हैं कि फू शी अम्मा के इंतज़ार में एक भी दिन की छुट्टी नहीं की, वह डेली शाम को दरवाज़े पर उनका इंतज़ार करता था। जिसे बाद में पशु विभाग वाले उसे अपने साथ लेकर चले गए। हालांकि सोशल मीडिया पर फू शी की कहानी वायरल होने के बाद उसे अडॉप्ट कर लिया गया।
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गर्मियों में ठंड का लुत्फ़ उठाने के लिए पर्यटक, हिमाचल की ओर कर रहे हैं रुख

दिल्ली जैसे शहरों में तापमान 40 डिग्री से ऊपर है और हमारे हिमाचल में कईं जगह अभी बारिश, ओले और यहाँ तक की बर्फ भी गिर रही है। लोग हिमाचल की ओर रूख कर रहे हैं इस गर्मी से निजात पाने के लिए।


सभी पर्यटकों से अनुरोध है हमारे प्रदेश की सुंदरता को बनाए रखने में मदद करें और कूड़ा इधर उधर न फेंकें। जगह-जगह बोतलें, चिप्स के पैकेट आदि फेंक दिए जाते हैं। कूड़े को किसी डस्टबिन में डालें या फिर अपने बैग में डालें और उचित स्थान पर फेंकें। गाड़ी ध्यान से चलाए। आप यहाँ घूमने आते हो मस्ती करो लेकिन अपनी जान की बाजी लगाकर नहीं। ओवर स्पीड और ओवर टेकिंग के चक्कर में कितने हादसे होते हैं। ये आपके दिल्ली, चंडीगढ़ जैसी सीधी सड़कें नहीं है। ये पहाड़ों की सर्पीली सड़कें हैं। कृपया पर्यटकों से यह भी अनुरोध है कि नदियों के पानी में न जाएं क्योंकि कभी भी पानी बढ सकता है और कोई भी अनहोनी हो सकती है। सबको हैदराबाद से आए छात्रों केसाथ हुई दुर्घटना याद ही होगी।  जगह जगह गाड़ी रोककर या हर कहीं से भी गाड़ी निकालने की कोशिश न करें। इससे सड़कों पर जो जाम लगता है उससे आप लोगों को ही परेशानी होती है और साथ ही स्थानीय लोग भी प्रभावित होते हैं।


स्थानीय लोग भी पर्यटकों का मेहमान की तरह स्वागत करें। उनको अनजान समझकर लूटें ना ताकि हिमाचली लोगों की जो भोली-भाली, सीधी और ईमानदार छवि बनी है वो बरकरार रहे। उनको अपनेपन का एहसास दिलाएं ताकि लोग बार बार आएं और उनको कुछ तो फर्क लगना चाहिए कि वो हिमाचल में हैं। इससे ज्यादा से ज्यादा लोग यहाँ आएंगे जो हमारे प्रदेश की प्रगति और उन्नति के लिए एक कदम है और इसमें सब भागीदार बनें। अगर आप मेरी बातों से सहमत हैं तो कृपया शेयर जरूर करें।
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रामायण काल के सम्बंध से जुड़ा है कसौली का प्रसिद्ध पर्यटक स्थल मंकी पॉइंट

मंकी पॉइंट पर पड़े थे हनुमान जी के पांव


 हिमाचल  की धरा पर बने देवी देवताओं के हजारों मंदिर इस तथ्य को प्रतिपादित करते हैं कि वह हिमाचल की धरती शुरू से ही देवी देवताओं के वास का स्थान रही है। तभी हिमाचल को देवभूमि भी कहा जाता है यहां आने वाले लोग खुद को कुदरत की गोद में होने का आनंद लेते हैं प्रदेश के प्रसिद्ध शक्तिपीठ में माता श्री नैना देवी ,श्री ज्वाला जी , श्री चिंतपूर्णी जी ,माता ब्रजेश्वरी मंदिर ,श्री चामुंडा जी ,बाबा बालक नाथ मंदिर व श्री रेणुका जी सहित अनेकों मंदिर वह धार्मिक स्थल देश-विदेश के लोगों को आस्था का केंद्र बने हुए हैं। आज हम ऐसे ही एक अन्य धार्मिक स्थल की बात कर रहे हैं जो पवन पुत्र हनुमान जी को समर्पित है वह स्थल पर्यटन नगरी कसौली का प्रसिद्ध मंकी पॉइंट है यहां देश-विदेश के पर्यटक वर्ष भर आते हैं यह स्थल भारतीय वायुसेना स्टेशन के तहत आता है इससे वहां सुरक्षा का भी पूरा ख्याल रखा जाता है


रामायण काल से जुड़ा है संबंध



मंकी प्वाइंट कसौली का संबंध रामायण काल से ही जुड़ा है और इसलिए इसका धार्मिक महत्व श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है ऐसा माना जाता है कि जब लंका में राम और रावण युद्ध के दौरान मेघनाथ के शक्ति बाण से लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे। तो हनुमान जी को संजीवनी बूटी लाने के लिए हिमाचल भेजा था। संजीवनी बूटी के बजाय हनुमान जी पूरा हिमालय पर्वत ही उठा लाए थे हिमालय पर्वत लाते समय उनका बांया पांव कसौली कि इस ऊंची पहाड़ी पर टिका था जिस कारण इस भूखंड की आकृति विशाल दाएं पांव की तरह है यहां पर पहाड़ी पर बने मंदिर खुद में कुदरती गोद में बैठा हुआ महसूस किया जा सकता है



 मंदिर की पहाड़ियों पर बंदरों की टोलियां अठखेलियां करती रहती हैं। और कई बार लोगों से प्रसाद भी छीन लेते हैं इसलिए वहां खाद्य वस्तुएं ले जाना मना है वहां से एक और शिमला ,चायल,श्री नैना देवी ,कांगड़ा और ऊपर की तरफ हिमाचल की बर्फ से ढकी नजर आती है इससे दूसरी और चंडीगढ़, पंचकूला व मैदानी राज्यों के दृश्य मन मोह लेते हैं।


संजीवनी हनुमान मंदिर में करें हनुमंत के दर्शन



कसौली बस स्टैंड से करीब 4 किलोमीटर दूर वायु सेना स्टेशन है जहां से पूरी जांच प्रक्रिया के बाद ही आगे जाया जा सकता है। 300 मीटर की खड़ी पहाड़ी पर रेलिंग वाले रास्ते से चलकर ही मुख्य मंकी पॉइंट हिल पर बने संजीवनी हनुमान मंदिर में बजरंगबली के दर्शन किए जा सकते हैं। पहले यह स्थान स्थानीय करवाड़ देव के लिए भी जाना जाता था। और आसपास के ग्रामीण करवाड़ देव की पूजा करते थे । जब से एयर फोर्स स्टेशन वहां बना है तब से  मंदिर का सुंदरीकरण शुरू हुआ। और मंदिर के अलौकिक दर्शन दूर क्षेत्र से भी किए जा सकते हैं मंदिर में सुबह शाम पूजा होती हैं मंदिर सुबह 9 बजे खुल जाता है और शाम को 4 बजे बंद हो जाता है ।मंदिर की चढ़ाई चढ़ते समय राम नाम के दोहे रास्तों पर लिखे हैं। मंदिर में हनुमान जयंती पर विशाल भंडारे का भी आयोजन होता है।


नियमों का रखें पूरा ध्यान




यह मंदिर वायुसेना के स्टेशन में आता है इसलिए वहां नियमों का पूरा ध्यान रखें स्टेशन में प्रवेश करते समय हथियार, मोबाइल ,पेन ड्राइव, कैमरा, दूरबीन, रेडियो ,वॉकमैन ,लाइटर,MP3 प्लेयर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान ले जाना वर्जित है। इसलिए वहां आने वाले श्रद्धालुओं को इसका पूरा ध्यान रखना चाहिए और साथ ही प्लास्टिक ,खाद्य वस्तुएं ना ले जाएं।

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PUBG की आदी एक बच्चे की मां ने छोड़ा पति का घर, महिला ने कहा जिसके साथ खेलती हूं, उसी के साथ रहूंगी, पति से मांगा तलाक

 (PUBG) दीवानगी के बारे में शायद आपको बताने की जरूरत नहीं है.


पबजी गेम के कारण भारत में अभी तक 10 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं और 16 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया चुका है. ताजा मामला गुजरात से है, जहां पबजी की आदी एक महिला ने अपने पति से तलाक मांगा है. यह अपने आप में शायद पहला मामला होगा जब पबजी के कारण किसी का रिश्ता टूटेगा. इससे पहले गुजरात में डीएम की मनाही के बाद पबजी खेलने पर 16 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी

दरअसल, अहमदाबाद में रहने वाली एक 19 साल की महिला को अपने पति से तलाक चाहिए. महिला एक बच्ची की मां है. इसके लिए महिला ने राज्य की महिला हेल्पलाइन अभयम 181 पर फोन किया है. महिला ने पति से तलाक मांगने और अपने पबजी (PUBG) गेमिंग पार्टनर के साथ रहने की इच्छा जाहिर की है. रिपोर्ट के मुताबिक महिला एक प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखती है. वह अपने फैसले पर अडिग है, उसका कहना है कि फैसले के पीछे घरेलू विवाद नहीं है. काउंसलर ने कहा कि 18 साल की उम्र पूरी होने पर लड़की की शादी एक बिल्डिंग कांट्रैक्टर से हो गई थी. जल्द ही वह एक बच्ची की मां बन गई.


महिला ने बताया कि उसने कुछ महीने पहले ही पबजी खेलना शुरू किया है और घंटों पबजी खेलती रहती है. पबजी खेलने के दौरान ही उसे शहर के एक लड़के प्यार हो गया है और दोनों मिलकर पबजी खेलते हैं. दोनों गेमिंग के दौरान चैटिंग भी करते हैं. महिला की काउंसिलिंग करने वाली सोनल संगठिया ने इस मामले पर कहा कि लड़की ने पति से तलाक के लिए अभयम में फोन किया था, उसके इस कदम का पिता ने समर्थन नहीं किया.

सोनल संगठिया ने बताया कि ‘उसका मामला सुनने के बाद जब हमने उससे पूछा कि क्या उसका पति से कोई विवाद है तो उसने इससे इंकार कर दिया. महिला का कहना है कि वह उस युवक के साथ रहना चाहती है जिससे वह नियमित तौर पर चैट करती है. साथी पबजी खिलाड़ी के साथ उसकी बढ़ती निकटता के परिणामस्वरूप जोड़े में लड़ाई होने लगी. जिसके बाद उसने पति का घर छोड़ दिया और अपने पिता के यहां रहने आ गई’.


काउंसलर की टीम ने 19 साल की महिला को अपनी बच्ची की परवरिश और उसके भविष्य का ख्याल रखते हुए एक बार फिर से अपने फैसले पर विचार करने के लिए कहा है. उसने पहले इच्छा जताई कि उसे अस्थायी तौर पर एक महिला के साथ रहने दिया जाए, जब तक कि उसका तलाक नहीं हो जाता. इसके बाद वह युवक के साथ रहना चाहती है 

काउंसलर ने कहा कि ‘वह चाहती थी कि यदि उसके पिता विरोध करें तो हेल्पलाइन के अधिकारी उसे युवक के पास ले जाएं. हमने उससे वादा किया कि हम उसके परिवार और पति से बात करेंगे. लेकिन वह जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाएगी’. उसे पबजी की आदत छोड़ने के लिए मनोवैज्ञानिक मदद लेने के लिए कहा गया है.
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5 गर्लफ्रेंड का खर्चा पूरा करने के लिए चोरी करता था 63 साल का 'रोमियो'



नई दिल्लीः रोमियो नाम मेरा चोरी है काम मेरा, फिल्म 'रूप की रानी चोरों का राजा' के इस गाने की तर्ज पर एक चोर अपनी ज़िंदगी जीता था. यह एक ऐसा चोर है जो एक नहीं दो नहीं बल्कि अपनी 5 पांच गर्लफ्रेंड का खर्चा पूरा करने के लिए चोरी की वारदात की अंजाम देता था. अब आप सोच रहे होंगे की ये आशिक मिज़ाज़ चोर कोई जवान हैंडसम व्यक्ति होगा. लेकिन ऐसा नही है.

आप जानकार हैरान हो जाएंगे कि इस चोर की उम्र 63 साल है. इस शख्स का नाम बंधु सिंह है. बंधु सिंह पूरी उम्र आशिक मिज़ाजी में गुजरने के लिए शादी नही की लेकिन 5 गर्लफ्रैंड जरूर बनाई.
इस मामले का खुलासा तब हुआ सराय रोहिल्ला इलाके में 28 जुलाई को एक फैक्ट्री में चोरी हुई. चोर की तलाश में पुलिस ने फैक्ट्री का सीसीटीवी खंगालना शुरू किया तो एक शख्स फुटेज में चोरी करता दिखा. फिर पुलिस ने अपने इलाके के वांटेड चोरों से चेहरा मैच किया तो आरोपी की पहचान हो गईं.
इसके बाद पुलिस आरोपी बंधु सिंह की गिरफ्तार कर लिया. आरोपी ने पूछताछ में कि वह अपनी गर्लफ्रेंड के खर्चे पूरा करने के लिए चोरी की वारदात को अंजाम देता है. बंधू ने बताया कि उसने अबतक आरोपी 20 से ज्यादा चोरी की वारदातों को अंजाम दे चुका है. पुलिस ने आरोपी के पास से दो लैपटॉप, एक led ओर कुछ कैश बरामद किया है.
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पारम्परिक पतल बनाने का कार्य करने वालों के अब बहुरेंगे दिन, हाथों हाथ बिक जाती है टोंर के पत्तों की पतलें

थर्मोकोल बैन होने से पारम्परिक कारोबार से जुड़े लोगों में नई ऊर्जा का संचार। 


प्रदेश में करीब दो दशक पहले ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले  किसी भी तरह के समारोह में टौर के पत्तों से बनी पत्तलों पर भोजन किया करते थे। हालांकि कई स्थानों पर आज भी इन्हीं पतलों पर भोजन परोसा जाता हैं,लेकिन अब इनका स्थान आज कागज की प्लेटों ने ले लिया है। पतलों के व्यवसाय से जहां कई परिवार जुड़े हुए थे,वंही यह पतले पर्यावरण के लिए नुक्सानदायक नहीं होती थी । इसके साथ ही पतलों पर भोजन करना शुभ व स्वच्छ माना जाता था ।

इस कारोबार से कई परिवार प्राकृतिक कच्चे माल से इसका निर्माण करते है। टोंर के पत्तों को बेचने वालों के लिए सस्ता और सुलभ कारोबार है। इससे कई परिवारों की रोजी-रोटी चली हुई है। सरकार के इस बैन से पत्तल बनाने वाले खुश तो हैं। मगर इस कारोबार से जुड़े लोगों का मानना है, कि बाजार में थर्मोकोल के अलावा कागज की पत्तलों और गिलासों पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए। क्योंकि सभी प्रदूषण के वाहक हैं । प्रदेश में अधिकतर जगहों पर आज हर धाम में टोंर से बनी पत्तलों पर खाना परोसा जाता है, जबकि मंडयाली धाम तो पत्तलों के बिना अधूरी ही लगती है।हिमाचल के ग्रामीण परिवेश में आज भी पत्तलों में खाने का रिवाज कायम है।बहरहाल टौर के पत्तों से पत्तल बनाने वाले परिवारों में प्रदेश सरकार की घोषणा ने नई ऊर्जा भर दी है।उन्हें आस है कि थर्माेकोल से बनी प्लेट गिलास पर प्रतिबंध लगने से उनके कारोबार में तेजी आएगी।



कागज और थर्मोकोल से बनी पत्तलें जहां प्रदूषण फैलाती है। वहीं टौर के पत्तों से बनी पत्तलें पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल है । इन पर खाना खाने के बाद गोबर की खाद बनाने वाली जगह पर फेंक दें तो इनकी भी प्राकृतिक खाद बन जाती है । इसलिए यह प्रदूषण मुक्त है।थर्मोकोल बेन होने के बाद टौर से बनी पत्तल हाथों हाथ बिक रही है। अर्की विधान सभा क्षेत्र में पतल बनाने का कार्य पलोग पंचायत के दोची व मांजू,  देवरा पंचायत के कोखड़ी में व कुनिहार क्षेत्र के बणी, सेवरा व जाडली में होता है।उपमंडल के कोखड़ी गांव की वयोवृद्ध महिला जानकी देवी का कहना है कि इस महंगाई के दौर में  पतल बनाने में काफी समय लगने के साथ इस का सही मोल भी नही मिल पाता,क्योंकि आज के समय मे शादी विवाह या अन्य समारोह आधुनिकता की चकाचोंध में टोंर की पत्तलों को भूल ही गए थे। अब इस कारोबार से जुड़े लोगों के लिये एक आशा की किरण जाग गई है ।



समाज सेवी व पलोग पंचायत के प्रधान योगेश चौहान का कहना है कि यह निर्णय पर्यवारण हितैषी है अब लोंगो को इस व्यवसाय के साथ  जुड़ना चाहिए ।इस कारोबार से जंहा स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा,वन्ही पर्यावरण भी दूषित नही होगा ।
वही डॉ नागेश गर्ग का मानना है कि थर्माकोल से बनी पतल व गिलास जलने पर पर्यावरण को प्रदूषित करते है, जबकि पतल से बनी प्लेट इस्तेमाल के बाद भी खाद के रूप में खेतों में इस्तेमाल हो सकती है।

@akshresh sharma
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मोबाइल टावरों की संख्या बढने से मानव जीवन में बड रहा खतरा, सुविधाओं के साथ साथ मिल रही मुफ़्त में बिमारी

गांव मे जैसे-जैसे विकास होता जा रहा है लोगों के लिए  खतरों के रूप में नई नई सुविधाएं उपलब्ध होती जा रही है। शहरीकरण के साथ साथ गांव  में मोबाइल टावरों की संख्या बढ़ती जा रही है। प्रत्येक मोबाइल कंपनियां अपनी बेहतर सुविधा देने के लिए गांव की तरफ रुख कर रही है। लेकिन इन सुविधाओं के साथ साथ नुकसान भी मुफ्त में मिल रहा है। मतलब मोबाइल टावरों से निकलने वाला रेडिएशन का खतरा झेलना पड़ सकता है। किसी समय में विकास खंड  कुनिहार की आने वाली पंचायतों  के अन्तर्गत क्षेत्रों में 1-2 कम्पनीयों के  ही टावर हुआ करता थे।  परंतु बेहतर सुविधा देने के चक्कर में  क्षेत्रों  में अलग-अलग कंपनियों के लगभग 18-20 मोबाइल टावर खड़े हो गए हैं। जिसमें कुनिहार, ममलीग, सारडा, मान, डुमेहर,चंडी भुमती अर्की क्षेत्र शामिल है।



विकास खंड कुनिहार के अन्तर्गत 45 पंचायतों में कुल जनसंख्या लगभग 1,13,859 है  जिसमें से लगभग 45 हजार लोग मोबाइल उपभोक्ता है और उनकी संख्या बढ़ती जा रही है।  मोबाइल टावर से रोजाना हजारों इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रेडिएशन निकलता है यह रेडिएशन लोगों को दिखाई नहीं देता।  परंतु यह रेडिएशन मानसिक व शारीरिक से कमजोर जो बना बना देती है।  इससे होने वाले दुष्परिणाम धीरे-धीरे सामने आते हैं  क्योंकि मोबाइल टावर कंपनियां अपनी बेहतर सुविधा देने के लिए टावर रेडिएशन के मानक को  संतुलन में नहीं रखते परन्तु  उस का लेवल बढ़ा देते है लोगों को सुविधा तो अच्छी मिल जाती है परंतु अगर कोई व्यक्ति 1 घंटे से ज्यादा बात कर ले तो उसे  ब्रेन कैंसर होने का खतरा उतना ही बढ़ जाता है।  सबसे ज्यादा प्रभाव मोबाइल टावर के आसपास निवास करने वाले लोगों पर होता है क्योंकि इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रेडिएशन मानव शरीर के लिए बहुत ही हानिकारक है इससे बचने के लिए टावर से लगभग 400 मीटर की दूरी पर निवास होना चाहिए।  परंतु कुनिहार क्षेत्र में ऐसे भी टावर है जिनके ठीक नीचे बहुत से परिवार बसर करते हैं। जो कि रेडिशन के संपर्क में सबसे पहले आते हैं।
मानक से अधिक रेडिएशन:
रेडिएशन के खतरे से बचने के लिए मोबाइल टावर के रेडिएशन का आदर्श मान 01 मिली वार्ड प्रति वर्ग मीटर माना गया है कुनिहार क्षेत्र में सिर्फ बीएसएनल के टावर का रेडिशन मान ही उचित है जबकि बाकी निजी कंपनी के मोबाइल टावर का रेडिएशन मानक काफी अधिक है मोबाइल कंपनी अधिक से अधिक दूर तक कवरेज करने के लिए  उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाने के लिए टावर के मानक स्तर को बढ़ा देती है। परंतु उसके आसपास बसर कर रहे लोगों के लिए वह रेडिएशन बहुत ही हानिकारक है।


इसी विषय बारे जब जीटीओ कुनिहार हेमंत कुमार  से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अधिक रेडिएशन लेवल हानिकारक है बीएसएनएल के टावर  रेडिशन की जांच हम समय-समय पर  करते हैं। और इसके रेडिएशन लेवल को हम सामान्य रखते  है उन्होंने बताया कि  बीएसएनएल के आला अधिकारी मोबाइल टावरों का निरीक्षण भी करते  अगर रेडिएशन लेवल ज्यादा पाया जाए तो जुर्माना भी भुगतान पड सकता है उन्होंने कहा कि निजी कंपनी के टावर में मानक की जानकारी नहीं है
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मानव समाज को प्रेम व सौहार्द से रहने का संदेश देते हुए गाय व कुत्ते की दोस्ती।

गाय व कुत्ते में मानो कोई पिछले जन्म का सम्बद्ध 



दोस्ती शब्द आपसी प्रेम को दृढ़ करता है।दोस्ती की कितनी मिसाले सुनने को मिलती है। बॉलीबुड में भी कितनी ही फिल्में दोस्ती शब्द की अहमियत को सार्थक करती हुई आपसी प्रेम को प्रदर्षित करती है।ऐसी ही आपसी दोस्ती की मिसाल कुनिहार क्षेत्र में भी चर्चित रही है,किन्तु ये दोस्ती इन्सानो की नहीं, अपितु दो जानवरो की है।जिनका आपसी प्यार देखते ही बनता है।मानव समाज को प्रेम व सौहार्द से रहने का संदेश ये दोनों जानवर देते हुए प्रतीत होते है।

कुनिहार बाजार में एक गाय व एक कुत्ते की दोस्ती लोगो के लिए चर्चा का विषय बनी हुई है।पिछले काफी दिनों से एक गाय व कुत्ता कुनिहार बाजार में हर वक्त एक दोस्त की तरह घूमते हुए देखे जा सकते हैं।कुनिहार बाजार,पुराना बस स्टैंड व लोगो के घरों में ,दुकानों में ये दोनों सुबह से शाम तक प्रतिदिन हाजरी देते है व लोग इन्हें पानी , रोटी व् कुछ न कुछ  अन्य सामग्री खाने को देते है। आज के युग में इंसानो में भी ऐसी दोस्ती देखने को नही मिलती ,जैसी इन दोनों में है।
इन्हें इस तरह हर वक्त एक साथ देख कर ऐसा लगता है मानो इनमे कोई पिछले जन्म का नजदीकी सम्बद्ध रहा हो।कुनिहार बाजार के कुछ लोगो का कहना है कि हमे पहले गाय को रोटी देने के लिए इधर उधर जाना पड़ता था, लेकिन आज कल तो गाय व  कुत्ता एक साथ हर रोज दरवाजे पर ही आ जाते हैं।जिससे हमें काफी खुशी मिलती है। ये दोनों रोटी खाकर आगे निकल जाते हैं।आज की भागम भाग जिंदगी में जंहा मानव मात्र दिखावे के लिए अपना प्रेम समाज मे जाहिर करते है,वंही ये गाय व कुत्ता समाज को प्रेम से रहने का संदेश देते नजर आते है।

Credit:Akshresh Sharma
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स्वतंत्रता सेनानी चिंतामणि शर्मा का कहना है कि आज का मतदाता जागरूक व पढा लिखा है जो देश के विकास व तरक्की के लिए बेहतर सोच रखता है।


 हिमाचल प्रदेश सोलन के स्वतंत्रता सेनानी चिंतामणि शर्मा 87 वर्षीय पुत्र स्व गोविंद राम शर्मा हाटकोट निवासी का कहना है कि देश आजाद होने के बाद का चुनाव और आज के चुनाव में दिन रात का अंतर है आजादी से पहले सिर्फ गिने-चुनी पार्टियां और नेता हुआ करते थे। जिसके पीछे पूरा देश चलता था और मतदान के समय प्रत्याशी के कम ही विकल्प हुआ करते थे।  जैसे जैसे देश विकसित होता गया देश में राजनीतिक पार्टियां और राजनेता बढ़ते चले गए।पहले समय में लोग ज्यादा पढ़े लिखे नहीं होते थे और पूरा गांव, कस्बा एक ही जगह वोट डाल दिया करता था। परंतु आज समय बहुत बदल चुका है हर राजनीतिक पार्टी  अपना अच्छा होने का प्रमाण देती है और चुनाव आयोग द्वारा भी बहुत सी सुविधाएं मतदाताओं को दी गई है। चुनाव आयोग द्वारा  मतदाताओं की सुविधाओं के लिए जगह-जगह वोटिंग बूथ सुनिश्चित किए गए हैं। स्वतंत्रता सेनानी चिंतामणि शर्मा 1962 से लेकर 1972 तक कुनिहार पंचायत के प्रधान भी रह चुके हैं उस समय कोठी , हाटकोट  व कुनिहार तीनों, कुनिहार पंचायत में हुआ करती थी।

उनके अनुसार उन्होंने बहुत सी राजनीतिक पार्टियों को सत्ता में आते हुए देखा है।  और सरकारें गिरते हुए भी देखीं हैं।  उन्होंने कहा कि मौसम कितना भी खराब हुआ हो मैंने हमेशा मतदान  किया है।  क्योंकि हम अच्छे व्यक्ति को चुनकर लाएंगे तभी तो अच्छा देश बन पाएगा। पार्टी देखने से पहले ये देखना जरूरी है कि प्रत्याशी कितना अनुभवी है और वो क्षेत्र के विकास के लिए कार्य कर सकता है या नहीं। आज मतदाता जागरूक व पढा लिखा है जो देश के विकास व तरक्की के लिए बेहतर सोच रखता है।
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प्रदेश का मतदाता फूल चुका है और राजनीतिक पार्टियों का नेता सूख चुका है।

आज प्रदेश में ऐसा माहौल बन चुका है आपको अपने इर्द-गिर्द  या तो गाड़ीयां नजर आएंगी या फिर राजनीतिक पार्टियों  के समर्थक वोट मांगते दिखाई देंगे।  जिस तरह किसान अपने खेतों में मेहनत करके पसीना बहाता है और फसल की पैदावार अच्छी देखकर खुश होता है उसी तरह राजनीतिक पार्टियां मैदानों में मेहनत करने के लिए उतर चुकी है अगर इन राजनीतिक पार्टियों ने पहले खेतों में अच्छी मेहनत की होती तो वोटरों की पैदावार भी अच्छी होती। यकीन मानिए आज प्रदेश का हर मतदाता फूल चुका है और राजनीतिक दलों का नेता सूख चुका है। सभी राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने के लिए नए-नए तरीकों का इस्तेमाल कर रहा





है तो वहीं  मतदाता आज छाती फुला कर खड़ा है।  यही वह समय है जब राजनेता लोग आपके सामने हाथ जोड़कर, झुक कर आपसे आपकी शक्ति यानी वोट मांगते हैं। और सत्ता में आ जाते हैं फिर आप हाथ जोड़कर खड़े रहते हैं पर आपके हाथ निराशा ही हाथ आती है।
आज चुनाव का ऐसा वातावरण बन गया है कि मतदाताओं के चेहरों पर अलग से खुशी दिखाई पड़ रही है।  देश का हर  छोटे और बड़े वर्ग  के मतदाताओं के हाथ में आज देश के भविष्य का फैसला है। आज के युवा  किसी राजनीतिक पार्टी  को समर्थन नहीं करते  अपितु उन प्रत्याशियों को वोट देकर जीताते हैं  जो अनुभवी हो, विकास करवाने में विश्वास रखते हों और देश हित में कार्यरत हों।

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