प्रदेश का मतदाता फूल चुका है और राजनीतिक पार्टियों का नेता सूख चुका है।

प्रदेश का मतदाता फूल चुका है और राजनीतिक पार्टियों का नेता सूख चुका है।

आज प्रदेश में ऐसा माहौल बन चुका है आपको अपने इर्द-गिर्द  या तो गाड़ीयां नजर आएंगी या फिर राजनीतिक पार्टियों  के समर्थक वोट मांगते दिखाई देंगे।  जिस तरह किसान अपने खेतों में मेहनत करके पसीना बहाता है और फसल की पैदावार अच्छी देखकर खुश होता है उसी तरह राजनीतिक पार्टियां मैदानों में मेहनत करने के लिए उतर चुकी है अगर इन राजनीतिक पार्टियों ने पहले खेतों में अच्छी मेहनत की होती तो वोटरों की पैदावार भी अच्छी होती। यकीन मानिए आज प्रदेश का हर मतदाता फूल चुका है और राजनीतिक दलों का नेता सूख चुका है। सभी राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने के लिए नए-नए तरीकों का इस्तेमाल कर रहा





है तो वहीं  मतदाता आज छाती फुला कर खड़ा है।  यही वह समय है जब राजनेता लोग आपके सामने हाथ जोड़कर, झुक कर आपसे आपकी शक्ति यानी वोट मांगते हैं। और सत्ता में आ जाते हैं फिर आप हाथ जोड़कर खड़े रहते हैं पर आपके हाथ निराशा ही हाथ आती है।
आज चुनाव का ऐसा वातावरण बन गया है कि मतदाताओं के चेहरों पर अलग से खुशी दिखाई पड़ रही है।  देश का हर  छोटे और बड़े वर्ग  के मतदाताओं के हाथ में आज देश के भविष्य का फैसला है। आज के युवा  किसी राजनीतिक पार्टी  को समर्थन नहीं करते  अपितु उन प्रत्याशियों को वोट देकर जीताते हैं  जो अनुभवी हो, विकास करवाने में विश्वास रखते हों और देश हित में कार्यरत हों।

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